Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सरोजिनी 'भारत कोकिला'

हमें फॉलो करें सरोजिनी 'भारत कोकिला'
ND

जन्म : 13 फरवरी 1879
मृत्यु : 2 मार्च 1949

भारत कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध श्रीमती सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। मात्र चौदह वर्ष की उम्र में सरोजिनी ने सभी अँग्रेजी कवियों की रचनाओं का अध्ययन कर लिया था। 1895 में हैदराबाद के निजाम ने उन्हें वजीफे पर इंग्लैंड भेजा। 1898 में उनका विवाह डॉ. गोविन्द राजालु नायडू से हुआ।

महात्मा गाँधी से उनकी प्रथम मुलाकात 1914 में लंदन में हुई और गाँधीजी के व्यक्तित्व ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। दक्षिण अफ्रीका में वे गाँधीजी की सहयोगी रहीं। वे श्री गोपालकृष्ण गोखले को अपना 'राजनीतिक पिता' मानती थीं। उनके विनोदी स्वभाव के कारण उन्हें 'गाँधीजी के लघु दरबार में विदूषक' कहा जाता था।

उन्होंने भारतीय समाज में फैली कुरीतियों के लिए भारतीय महिलाओं को जागृत किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए विभिन्न आंदोलनों में सहयोग दिया। काफी समय तक वे कांग्रेस की प्रवक्ता रहीं। 1925 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कानपुर अधिवेशन की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष बनीं। जलियाँवाला बाग हत्याकांड से क्षुब्ध होकर उन्होंने 1908 में मिला 'कैसर-ए-हिन्द' सम्मान लौटा दिया था। भारत छोड़ो आंदोलन में उन्हें आगा खाँ महल में सजा दी गई। वे उत्तरप्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनीं।
  भारत कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध श्रीमती सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। मात्र चौदह वर्ष की उम्र में सरोजिनी ने सभी अँग्रेजी कवियों की रचनाओं का अध्ययन कर लिया था।      


एक कुशल राजनेता होने के साथ-साथ वे अच्छी लेखिका भी थीं। सिर्फ तेरह वर्ष की उम्र में उन्होंने 1300 पंक्तियों की कविता 'द लेडी ऑफ लेक' लिखी थी। फारसी भाषा में एक नाटक 'मेहर मुनीर' लिखा। 'द बर्ड ऑफ टाइम', 'द ब्रोकन विंग', 'नीलांबुज', ट्रेवलर्स सांग', उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं।

उन्होंने भारतीय महिलाओं के बारे में कहा था -
'जब आपको अपना झंडा संभालने के लिए किसी की आवश्यकता हो और जब आप आस्था के अभाव से पीड़ित हों तब भारत की नारी आपका झंडा संभालने और आपकी शक्ति को थामने के लिए आपके साथ होगी और यदि आपको मरना पड़े तो यह याद रखिएगा कि भारत के नारीत्व में चित्तौड़ की पद्मिनी की आस्था समाहित है।'

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi