- सौ. भारती मंडलोई
एक बार हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को विदेश यात्रा पर जाना था। उनके पत्नी व पुत्र ने सोचा कि शास्त्री जी के लिए नया कोट बनवा दिया जाए क्योंकि उनका कोट काफी पुराना हो चुका था।
बाजार से एक बढ़िया धारी वाला काले कोट का कपड़ा मंगवाया गया और दर्जी को बुलाकर शास्त्रीजी के सामने खड़ा कर दिया। दर्जी ने शास्त्री जी का नाप लेकर अपनी डायरी में नोट कर लिया और कोट के कपड़े का लिफाफा लेकर जाने लगा तो शास्त्री जी ने उससे धीरे से कुछ कहा।
कुछ दिनों पश्चात जब टेलर कोट का लिफाफा लेकर आया तो उसमें से कोट निकाला गया। पर यह क्या? उसमें तो वही पुराना कोट निकला जो शास्त्रीजी पहनते थे। उनकी पत्नी व पुत्र यह देखकर दंग रह गए पर वह दर्जी से क्या पूछते?
दर्जी के जाने के बाद उनके पुत्र ने पूछा- 'बाबूजी यह क्या माजरा है? तो वह मुस्कुराते हुए बोले कि अभी तो मेरा पुराना कोट ही पहनने लायक है। इसलिए वह कपड़ा मैंने वापस करवा कर उन पैसों को जरूरतमंद विद्यार्थियों में बंटवा दिया है। सादा जीवन के साथ ऐसे उच्च विचार थे हमारे शास्त्री जी के।
सौजन्य से - देवपुत्र