प्राचीन यूनान में सुकरात नाम के विद्वान हुए हैं। वे ज्ञानवान और विनम्र थे। इस क्रांतिकारी व्यक्तित्व को पश्चिमी विद्वानों ने एक महान यूनानी दार्शनिक माना है, पर संत नहीं। वहीं दूसरी ओर भारतवासियों ने उनमें एक दृष्टा की छवि देखी और उन्हें संतों की कोटि में रखा।
आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व के इस संसार में सुकरात जैसा व्यक्तित्व पैदा हुआ जिसने मृत्यु का वरण करना स्वीकार किया, लेकिन अपने दर्शन की अवज्ञा नहीं की।
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