समूचे विश्व में जहां भी महिलाओं को कमतर आंका गया है उन्होंने हमेशा नए रिकॉर्ड दर्ज किए है। अक्सर महिलाओं ने कई सारी रूढ़ि वादी सोच तोड़कर अपना जीवन तो संवारा है साथ ही आने वाली पीढ़ी के लिए भी दरवाजे खोल दिए। एक ऐसी ही शख्सियत हैं आरती साहा। मात्र 4 साल की उम्र में तैराकी सीखना शुरू कर दिया था। कौन थी भारतीय साहा,कम उम्र में ही अपने नाम दर्ज कर लिए कई सारे रिकॉर्ड। आइए जानते हैं उनके बारे में 10 खास बातें
- 24 सितंबर 1940 को कोलकाता में आरती साहा का जन्म हुआ था। वह मध्यमवर्गीय परिवार से थी। हालांकि मात्र 2 साल की उम्र में ही आरती के जीवन से मां का साया उठ
गया था। अपना बचपन आरती ने दादी की गोद में बिताया। आरती चम्पाताला घाटा के पास ही रहती थीं वह बचपन में वहां नहाने जाती थी। और इसी बीच तैराकी करना भी सीख गईं।
- आरती लहरों के संग खेलती थी। उनके इस खूबी को पिताजी ने पहचान लिया और आरती का हातखोला स्विमिंग क्लब में दाखिला करा दिया।
- दाखिला मिलने के बाद सचिन नाग ने आरती के टैलेंट को पहचाना और उन्हें प्रशिक्षित किया। साहा को ट्रेनिंग मिलने के बाद वह एक्सपर्ट हो गई। 5 साल की उम्र में ही पहली बार स्वर्ण पदक प्राप्त कर लिया।
- आरती ने पहला स्वर्ण पदक 1946 में शैलेंद्र मेमोरियल स्विमिंग कंपीटिशन में जीता था।
- आरती ने 1945 से 1951 के बीच बहुत कम समय में 22 मेडल अपने नाम कर लिए थे।
-12 साल की उम्र में आरती ने अंतरराष्ट्रीय उड़ान भरी। 1952 में साहा ने फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में हिस्सा लिया।
- 18 साल की उम्र में इंग्लिश चैनल में मौका मिला लेकिन असफल रहीं। हालांकि साहा ने हार नहीं मानी और फिर से प्रयास कर अगले साल अपने नाम रिकॉर्ड दर्ज कर लिया। जी हां, और इंग्लिश चैनल पार करने वाली एशिया की पहली महिला बन गईं।
- बता दें कि, इंग्लिश चैनल को पार करना माउंट एवरेस्ट के बराबर माना जाता है। और इंग्लिश चैनल का सफर 67.5 किलो मीटर का था। आरती ने इस दूरी को 16 घंटे 20 मिनट में तय किया था। इसलिए उन्हें जलपरी भी कहा जाता था।
- 1960 में आरती साहा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- आरती के जीवन से कई महिलाओं और लड़कियों को प्रेरणा मिली। भारत में भी वह प्रसिद्ध हो गईं थी। जिससे प्रेरित होकर 1998 में एक डाक टिकट जारी किया गया।
- 23 अगस्त 1994 में आरती साहा की मृत्यु हो गई। वह बीमार थी उन्हें आखिरी वक्त में पीलिया हो गया था। आज भले ही आरती साहा हमारे बीच नहीं है लेकिन वह पूरी दुनिया में महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोतहै।