डॉ. अंबेडकर पुण्यतिथि आज : जानिए डॉ. अंबेडकर के जीवन की 10 बातें और 20 अनमोल वचन
1. भारतीय अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक रहे भीमराव रामजी अंबेडकर लोगों के बीच में बाबा साहेब अंबेडकर (B.R. Ambedkar) नाम से लोकप्रिय थे। वे भारतीय इतिहास के ऐसे महान व्यक्ति हैं जिन्होंने दलितों को सामाजिक अधिकार दिलाने के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
2. 14 अप्रैल 1891 को डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म महू में सूबेदार रामजी शकपाल एवं भीमाबाई की चौदहवीं संतान के रूप में हुआ था।
3. सयाजीराव गायकवाड़ (बड़ौदा के महाराजा) ने डॉ. अंबेडकर को मेधावी छात्र के नाते छात्रवृत्ति देकर विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेजा, जहां उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, दर्शन और अर्थ नीति का गहन अध्ययन प्राप्त किया था, जहां उन्हें अमेरिका में एक नई दुनिया के दर्शन हुए।
4. वे एक महानायक, विद्वान, दार्शनिक, वैज्ञानिक, समाजसेवी एवं धैर्यवान व्यक्तित्व के धनी थे। उनके व्यक्तित्व में स्मरण शक्ति की प्रखरता, बुद्धिमत्ता, ईमानदारी, सच्चाई, नियमितता, दृढ़ता, संग्रामी स्वभाव ये सभी गुण उनकी अद्वितीय प्रतिभा को खास बनाते हैं।
5. डॉ. अंबेडकर ने अपना समस्त जीवन समग्र भारत की कल्याण कामना में लगा दिया, खास तौर पर भारत के 80 फीसदी दलित सामाजिक एवं आर्थिक तौर से अभिशप्त थे, उन्हें इस अभिशाप से मुक्ति दिलाना ही अंबेडकर का जीवन संकल्प था।
6. डॉ. अंबेडकर के अनुसार, हिन्दुत्व की गौरव वृद्धि में वशिष्ठ जैसे ब्राह्मण, राम जैसे क्षत्रिय, हर्ष की तरह वैश्य और तुकाराम जैसे शूद्र लोगों ने अपनी साधना का प्रतिफल जोड़ा है। उनका हिन्दुत्व दीवारों में घिरा हुआ नहीं है, बल्कि ग्रहिष्णु, सहिष्णु व चलिष्णु है।
7. डॉ. अंबेडकर ने समाज को श्रेणीविहीन और वर्णविहीन करने के लिए बहुत कोशिश की, क्योंकि इसी श्रेणी ने इंसान को दरिद्र और वर्ण ने इंसान को दलित बना दिया था, जिनके पास कुछ भी नहीं है, वे लोग दरिद्र माने गए और जो लोग कुछ भी नहीं है वे दलित समझे जाते थे।
8. डॉ. अंबेडकर का संकल्प था कि वर्गहीन समाज गढ़ने से पहले समाज को जातिविहीन करना होगा तथा समाजवाद के बिना दलित और मेहनती इंसानों की आर्थिक मुक्ति संभव नहीं। अत: उन्होंने संघर्ष का बिगुल बजाया और आह्वान किया कि, छीने हुए अधिकार भीख में नहीं मिलते, अधिकार वसूल करना होता है।
9. भारतीय संविधान की रचना हेतु डॉ. अंबेडकर के अलावा और कोई अन्य विशेषज्ञ भारत में नहीं था। अतः सर्वसम्मति से डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की प्रारूपण समिति का अध्यक्ष चुनकर 26 नवंबर 1949 को डॉ. अंबेडकर द्वारा रचित (315 अनुच्छेद का) संविधान पारित किया गया।
10. डॉ. अंबेडकर की मृत्यु 6 दिसंबर 1956 (Dr. B.R. Ambedkar Death) को दिल्ली स्थित उनके आवास में नींद के दौरान हो गई। वे मधुमेह से पीड़ित थे। मरणोपरांत सन् 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
Ambedkar 20 Quotes यहां पढ़ें डॉ. अंबेडकर के बीस अनमोल वचन-
1. हर व्यक्ति जो मिल के सिद्धांत कि 'एक देश दूसरे देश पर शासन नहीं कर सकता' को दोहराता है उसे ये भी स्वीकार करना चाहिए कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शासन नहीं कर सकता।
2. इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है, वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है, जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हो।
3. मैं ऐसे धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाए।
4. हम सबसे पहले और अंत में भी भारतीय हैं।
5. मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर हैं। एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की, नहीं तो दोनों मुरझाकर मर जाते हैं।
6. कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए।
7. समाज में अनपढ़ लोग है ये हमारे समाज की समस्या नहीं है लेकिन जब समाज के पढ़े-लिखे लोग भी गलत बातों का समर्थन करने लगते है और गलत को सही दिखाने के लिए अपने बुद्धि का उपयोग करते है यही हमारे समाज की समस्या है।
8. जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है, वो आपके किसी काम की नहीं।
9. जीवन लंबा होने की बजाए महान होना चाहिए।
10. उदासीनता एक ऐसे किस्म की बीमारी है जो किसी को प्रभावित कर सकती है।
11. यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।
12. जो कौम अपना इतिहास तक नहीं जानती है, वे कौम कभी अपना इतिहास भी नहीं बना सकती है।
13. यदि मुझे लगेगा की संविधान का दुरुपयोग हो रहा है तो सबसे पहले मै इस संविधान को ही जलाऊंगा।
14. पति-पत्नी के बीच का संबंध घनिष्ठ मित्रों के संबंध के समान होना चाहिए।
15. भाग्य में विश्वास रखने के बजाए अपनी शक्ति और कर्म में विश्वास रखना चाहिए।
16. बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
17. एक इतिहास लिखने वाला इतिहासकार सटीक, निष्पक्ष और ईमानदार होना चाहिए।
18. समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।
19. हिन्दू धर्म में विवेक, कारण और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।
20. एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है।
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