रानी चेन्नम्मा कौन थीं, जानिए उनके संबंध में 13 खास बातें
HIGHLIGHTS
* रानी चेन्नम्मा की पुण्यतिथि, जानें कौन थीं कर्नाटक की यह वीर महिला?
* रानी चेन्नम्मा भारत के कर्नाटक के कित्तूर राज्य की रानी थीं।
* संघर्ष में वह वीरगति को प्राप्त हुईं।
Rani Chennamma: 21 फरवरी को रानी चेन्नम्मा की पुण्यतिथि हैं। उन्हें कर्नाटक की वीर महिला के रूप में जाना जाता है। आइए जानते हैं उनके पुण्यतिथि के अवसर पर उनके जीवन के बारे में खास बातें...
1. चेन्नम्मा कर्नाटक के कित्तूर राज्य की रानी थीं।
2. रानी चेन्नम्मा का जन्म 23 अक्टूबर 1778 में बेलगाम जिले के ककती में हुआ था, जो कि कर्नाटक के बेलगावी जिले का एक छोटा-सा गांव था।
3. रानी चेन्नम्मा 15 वर्ष की उम्र में कित्तूर (वर्तमान बेलगाम में एक तालुक) की रानी बन गईं थीं।
4. उनका विवाह कित्तूर के राजा, राजा मल्लसर्ज से हुआ था। उनका एक पुत्र था।
5. सन् 1857 में हुए स्वतंत्रता संग्राम की पहली कड़ी में अंग्रेजों के खिलाफ इस रानी के बहुत ही बहादुरी के साथ युद्ध किया था।
6. उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध का नेतृत्व किया था। इसमें पहले विद्रोह में तो उन्हें विजय प्राप्त हुई, लेकिन दूसरे विद्रोह के बाद युद्धबंदी के रूप में रानी चेन्नम्मा मृत्यु हो गई।
7. अंग्रेजों का विरोध करने वालीं पहली शासक के इस बलिदान ने तमाम रजवाड़ों को संगठित होने के लिए प्रेरित किया।
8. वीरता की कहानी : रानी चेन्नम्मा के पहले पति फिर पुत्र के निधन के बाद अंग्रेजों ने सन् 1824 में अपनी 'राज्य हड़प नीति' के तहत कित्तूर राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने की घोषणा कर दी, पर रानी को यह मंजूर नहीं था, उन्होंने अंग्रेजी सेना से जमकर लोहा लिया और सशस्त्र संघर्ष किया था। लेकिन अपने अपूर्व शौर्य प्रदर्शन के बाद भी वे अंग्रेजी सेना का मुकाबला न कर सकीं। और अंग्रेजों ने उन्हें कैद कर लिया गया और इसी संघर्ष में वह वीरगति को प्राप्त हुईं।
9. रानी चेन्नम्मा की मृत्यु 21 फरवरी 1829 को अंग्रेजों के कैद में रहते हुए ही हो गई थी।
10. सन् 1977 में भारत सरकार ने रानी चेन्नम्मा द्वारा देश के लिए किए योगदान को याद करते हुए डाक टिकट भी जारी किया था।
11. रानी चेन्नम्मा कर्नाटक की वीर महिला थी। आज भी कर्नाटक में उनका नाम बड़ी इज्जत के साथ लिया जाता है।
12. रानी चेन्नम्मा एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, बहादुर योद्धा थीं, जिन्होंने अपने लोगों के अधिकारों के लिए अंग्रेंजों से लोहा लिया।
13. भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले सबसे पहले शासकों में रानी चेन्नम्मा का नाम लिया जाता है। किन्तु दु:ख इस बात का है कि इतिहास में कुछ खास लोगों को ही जगह मिली। आज भी देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वालों का देश ऋणी है और हमेशा रहेगा।
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