Cigarette butts turn into teddy: भारत में हर साल लाखों टन सिगरेट के बट फेंके जाते हैं। ये सिगरेट के बट न केवल हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं बल्कि मिट्टी और पानी को भी दूषित करते हैं। आपने भी अक्सर सड़कों और अन्य सार्वजानिक जगहों पर पर यहां-वहां जली हुई सिगरेट के टुकड़े पड़े देखे होंगे। लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि इन अधजले सिगरेट के टुकड़ों से एक सॉफ्ट और सुन्दर टेडी बनाया जा सकता है। जी हां, कुछ ऐसा ही किया नोएडा में रहने वाले नमन गुप्ता ने। नमन ने इस समस्या का एक अनूठा समाधान निकाला है। उन्होंने सिगरेट के बट से खिलौने और अन्य उपयोगी चीजें बनाना शुरू कर दिया है। क्या है ये पूरी कहानी और कैसे किया ये नमन ने, आइये आपको बताते हैं।
नमन गुप्ता ने देखा कि सिगरेट के बट एक बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। उन्होंने इस समस्या पर गहराई से अध्ययन किया और पाया कि भारत में सिगरेट के बट को रीसायकल करने की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने यह भी देखा कि इन बट्स में कई ऐसे रसायन होते हैं जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं।
कैसे सूझा सिगरेट बट्स से टैडी बनाने का आइडिया
कोड एफर्ट की शुरुआत
नमन गुप्ता ने अपनी कंपनी कोड एफर्ट की स्थापना की। इस कंपनी के माध्यम से उन्होंने सिगरेट के बट को रीसायकल करने का काम शुरू किया। उन्होंने कूड़ा बीनने वालों को भी अपने साथ जोड़ा और उन्हें इस काम के लिए प्रशिक्षित किया। आज, कोड एफर्ट हर दिन लाखों सिगरेट के बट्स को रीसायकल करता है। इन रीसायकल किए गए पदार्थों का उपयोग करके कंपनी कई तरह के उत्पाद बनाती है।
कंपनी बनाती है ये सभी सामान
नमन की कंपनी कोड एफर्ट ना सिर्फ बच्चों के लिए खिलौने बनाती है बल्कि सिगरेट बट्स को रिसाइकिल करके बैग, तकिए, की-चेन, टेक्सटाइल, पेपर और डेकोरेटिव आइटम्स भी बनाए जाते हैं। इन आइटम्स का दाम बहुत कम होता है ताकि हर वर्ग के लोग इन सामानों को खरीद पाएं और यूज कर सकें। नमन गुप्ता की यह पहल न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि समाज के लिए भी फायदेमंद है। यह एक सतत विकास का मॉडल है जिससे न केवल कचरे का निस्तारण होता है बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं।
नमन गुप्ता का लक्ष्य सिर्फ सिगरेट के बट को रीसायकल करना ही नहीं है, बल्कि वह अन्य प्रकार के प्लास्टिक कचरे को भी रीसायकल करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हों और कचरे को कम से कम करें।