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1 जुलाई पुण्यतिथि पर विशेष : हिन्दी भाषा के सेवक थे राजर्षि पुरुषोत्तम टंडन, जानें 11 खास बातें

हमें फॉलो करें 1 जुलाई पुण्यतिथि पर विशेष : हिन्दी भाषा के सेवक थे राजर्षि पुरुषोत्तम टंडन, जानें 11 खास बातें
पुरुषोत्तम दास टंडन सरलता, सेवा और सादगी की प्रतिमूर्ति थे। वे एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनयिक, पत्रकार, वक्ता, समाज सुधारक तथा हिन्दी भाषा के सेवक थे। उनके पिता का नाम सालिकराम था।
 
उनका विवाह चंद्रमुखी देवी (मुरादाबाद) के साथ हुआ था। हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करवाने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान वे कई बार जेल भी गए। आइए जानें उनके बारे में 11 खास बातें :-
 
1. भारत के प्रमुख स्वाधीनता सेनानी राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन का जन्म इलाहाबाद (उत्तरप्रदेश) में 1 अगस्त 1882 को हुआ था। 
 
2. भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के अग्रणी नेता के साथ-साथ वे एक समाज सुधारक, कर्मठ पत्रकार, हिंदी के अनन्य सेवक तथा तेजस्वी वक्ता भी थे। 
 
3. उनकी प्रारंभिक शिक्षा सिटी एंग्लो वर्नाक्यूलर विद्यालय में हुई। तत्पश्चात उन्होंने लॉ की डिग्री हासिल कर 1906 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में (लॉ की प्रैक्टिस के लिए) काम करना शुरू किया।
 
4. सन् 1899 अपने विद्यार्थी जीवन से ही वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे। 1906 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रतिनिधि (इलाहाबाद से) चुने गए। 
 
5. सन् 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड का अध्ययन करने वाली कांग्रेस पार्टी की समिति से संबद्ध थे। 
 
6. सन् 1920 में असहयोग आंदोलन, 1921 में सामाजिक कार्यों तथा गांधीजी के आह्वान पर स्वतंत्रता संग्राम में काम के लिए हाईकोर्ट का काम छोड़ कर वे इस संग्राम में कूद पड़े। 
 
7. सविनय अवज्ञा आंदोलन के सिलसिले में सन् 1930 में बस्ती में गिरफ्तार हुए तथा कारावास भी मिला।
 
8. लंदन में आयोजित (सन् 1931 - गांधीजी के वापस लौटने से पहले) गोलमेज़ सम्मेलन में पंडित नेहरू के साथ-साथ राजर्षि टंडन को भी गिरफ्तार किया गया था। 
 
9. भारत की आजादी के बाद उन्होंने विधानसभा (उत्तरप्रदेश) के प्रवक्ता के रूप में 13 वर्षों तक काम किया। इस दौरान 1937 से 1950 के लंबे कार्यकाल में कई बार विधानसभा को संबोधित किया था।
 
10. भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी को प्रतिष्ठित करवाने में उनका खास योगदान माना जाता है तथा देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भी उन्हें दिया गया। 
 
11. भारत सरकार द्वारा सन् 1961 में 'भारत रत्न' की उपाधि से विभूषित किया गया। ऐसे महान कर्मयोगी, 'राजर्षि' के नाम से विख्यात, स्वतंत्रता सेनानी पुरुषोत्तम दास टंडन का 1 जुलाई 1962 को निधन हो गया। उन्होंने अपने जीवन काल में कई साहसी तथा ऐतिहासिक कार्य किए।


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