भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता रहे अरूण जेटली की आज दूसरी पुण्यतिथि हैं। 24 अगस्त 2019 को भारतीय जनता पार्टी के संकट मोचक कहे जाने वाले अरूण जेटली का निधन हो गया था। आज भी भाजपा में अरूण जेटली जैसे वरिष्ठ नेता की कमी खलती हैं। हालांकि अरूण जेटली अपने कार्यकाल के दौरान कई सारे पद पर आसानी रहे थे लेकिन आज भी उनका नाम ही काफी है। वह किसी परिचय के मोहताज नहीं रहे हैं। आइए एक नजर डालते हैं उनके जीवन पर -
अरूण जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 को नई दिल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम किशन जेटली और मां का नाम रतन प्रभा रहा। अरूण जेटली अपने पिता के नक्शे कदम पर चले। उनके पिता पेशे से वकील थे। अरूण जेटली ने प्राथमिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, दिल्ली से प्राप्त की। इसके बाद 1973 में श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 1977 में पिता जी की तरह कानून किया। 24 मई 1982 को अरूण जेटली की संगीता जेटली से शादी हुई थी। दो बच्चे हैं रोहन और सोनाली।
राजनीतिक करियर की शुरूआत -
अरूण जेटली ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत छात्र के रूप में की थी। 1974 में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर डीयू में छात्र संगठन के अध्यक्ष बनें।
1991-1974 के बाद 1991 में वह भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए। इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बनाए गए।
1999 - इस साल में उन्हें पार्टी की ओर से बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई। आम चुनाव से पहले उन्हें भाजपा का प्रवक्ता बनाया गया था। इसके बाद जब पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी। उसके बाद उन्हें सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री बनाया गया।
23 जुलाई 2000 - अरूण जेटली को कानून, न्याय और कंपनी मामलों के केंद्रीय मंत्री बनाया गया। लेकिन यह तब हुआ जब राम जेठमलानी ने इस्तीफे दे दिया था।
29 जनवरी 2003 - केंद्रीय मंत्रमिंडल में वाणिज्य, उघोग, कानून और न्याय मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।
2004 - मई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को मिली हार के बाद वह महासचिव के रूप में कार्य करने लगे।
2009 - राज्यसभा में विपक्ष का नेता चुना गया था।
2014 - साल 2014 में भाजपा सत्ता में आई। 26 मई 2014 को उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। हालांकि वह कांग्रेस के अमरिंदर सिंह के सामने चुनाव हार गए थे।
2018 - एक बार फिर से राज्यसभा की ओर से उत्तर प्रदेश से मैदान में उतरे थे। और राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे।
जब लिखा था मंत्रीपद के भार से मुक्त होने का पत्र
अरूण जेटली बेबाकी से अपनी बात को रखते थे। वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने बड़े फैसले लिए थे। जिसमें से नोटबंदी और जीएसटी सबसे बड़ा फैसला था। इस फैसले के कारण उन्हें कई तरह की विपरित परिस्थितियों से गुजरना पड़ा था। उन्हें कई बार आलोचना का सामना भी करना पड़ा।
2019 में मोदी सरकार ने एक बार फिर जीत दर्ज की। इस बार कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें और बड़ी जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। लेकिन लगातार अस्वस्थ रहने के कारण पत्र लिखते हुए अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने पर्याप्त समय की मांग की। और मंत्रीपद के भार से मुक्त करने की अनुमति मांगी। लगातार अस्वस्थ्य रहने के कारण 24 अगस्त 2019 को दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली।
गौरतलब है कि 6 अगस्त 2019 को पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हो गया था। कुछ दिनों के अंतराल में ही भाजपा के दो कद्दावर नेता ने अलविदा कह दिया था।