अथर्व पंवार
पूरा नाम श्रीनिवास रामानुजन अयंगर था।
26 अप्रैल 1930 को मद्रास में निधन हुआ था।
रामानुजन की बायोग्राफी का नाम है THE MAN WHO KNEW INFINITY अर्थात ऐसा व्यक्ति जो अनंत को जानता था।
उनकी थ्योरी ब्लैकहोल और स्ट्रिंग थ्योरी के लिए भी उपयोग की जाती है।
इन्हे गणितज्ञों का गणितज्ञ औरसंख्यों का जादूगर कहा गया। इन्हें वह उपाधियाँ इनके संख्या सिद्धांत के योगदान के लिए दी गई।
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हार्डी जिनके कारण रामानुजन को सफलता प्राप्त हुई थी, कहते थे कि उन्होंने जितना रामानुजन को सिखाया है उससे कई अधिक उन्होंने रामानुजन से सीखा है। हार्डी रामानुजन को दुनिया का सबसे महान गणितज्ञ मानते थे।
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हार्डी और प्रोफ़ेसर लिटलवुड ने रामानुजन को कैलकुलस की नींव रखने वाले यूलर और जैकोबी की श्रेणी में रखा था।
एक बार रामानुजन के एक मित्र के इस श्रीनिवासन की चेन्नई में उनसे भेंट हुई थी। उन्होंने रामानुजन से कहा था कि लोग उन्हें जीनियस मानते हैं तो उन्होंने कहा कि उनकी कोहनी को देखो, वह इस बात का सत्य बताएगी। जब श्रीनिवासन ने गम्भीरतापूर्वक उनकी कोहनी देखी तो वह काली थी और वहां की त्वचा भी मोटी हो गयी थी। उन्होंने रामानुजन से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि वह दिन रात स्लेट पर गणनाएं करते हैं। इसमें उन्हें बार बार लिखकर मिटाना पड़ता है। ऐसे में निरंतर कपड़े का उपयोग करने से समय खर्च होता है इसलिए वह मिटने के लिए कोहनी का उपयोग करते हैं। तो यह कोहनी ही उन्हें जीनियस बनती है।
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय जाने के पहले रामानुजन हाई स्कूल के अनुत्तीर्ण छात्र थे और उनके पास कोई कॉलेज डिग्री भी नहीं थी, फिर भी वह उस समय हजारों गणितीय प्रमेय सूत्र तैयार कर चुके थे।
वह पहले भारतीय थे जिनके 1918 में रॉयल सोसाइटी और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की फ़ेलोशिप मिली थी।
उनकी विद्वता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है की उनकी मृत्यु के बाद भी उनके 5000 से अधिक प्रमेय छपवाए गए।