12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती है और इसके बाद 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती मनाई जाएगी। दोनों की जयंती पर देशभर में इस बार खास कार्यक्रमों का आयोजन होगा। युवा चेतना जागृति एवं राष्ट्र जागरण के संदर्भ में जिला स्तर पर कई संगठन लोगों को एकत्रित करके दोनों के विचारों की प्रासंगिकता पर एक गोष्ठी का भी आयोजन करेंगे।
स्वामी विवेकानंद की जयंती:-
इस बार हम स्वामी विवेकानंद जी की 162वीं जन्म जयंती मनाने जा रहे हैं। इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को कोलकाता में हुआ। मात्र 39 वर्ष की उम्र में 4 जुलाई 1902 को उनका निधन हो गया। स्वामी विवेकानंद के घर का नाम वीरेश्वर रखा गया, लेकिन बाद में औपचारिक रूप से उनका नाम नरेंद्र दत्त रखा गया। उनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक गृहणी और शिवभक्त थी। उनका अधिकांश समय शिवपूजा में ही बितता था। उनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त का निधन 1884 में में हो गया था जिसके चलते घर की आर्थिक दशा बहुत खराब हो चली थी। बहुत गरीबी में दिन गुजरने के बाद श्रीरामकृष्ण परमहंस ने उन्हें संभाला था। 1881 में रामकृष्ण को उन्होंने अपना गुरु बनाया। संन्यास लेने के बाद इनका नाम विवेकानंद हुआ।
दर्शन: विवेकानंद पर वेदांत दर्शन, बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग और गीता के कर्मवाद का गहरा प्रभाव पड़ा। उनके दर्शन का मूल वेदांत और योग ही रहा। विवेकानंद मूर्तिपूजा को महत्व नहीं देते थे, लेकिन वे इसका विरोध भी नहीं करते थे। उनके अनुसार 'ईश्वर' निराकार है। ईश्वर सभी तत्वों में निहित एकत्व है। जगत ईश्वर की ही सृष्टि है। आत्मा का कर्त्तव्य है कि शरीर रहते ही 'आत्मा के अमरत्व' को जानना। राजयोग ही मोक्ष का मार्ग है।
साहित्य : विवेकानंद ने बहुत कुछ लिखा है। उन्होंने वेद, गीता, योग, राजयोग, कर्मवाद, बौद्ध धर्म, भारत, इतिहास आदि पर सैंकड़ों किताबें लिखी हैं और उनके भाषणों को भी किताब का रूप दिया गया है।
सुभाषचंद्र बोस की जयंती:-
23 जनवरी को सुभाषचंद्र बोस की जयंती मनाई जाएगी। नेताजी की जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग इस बार भी कई संगठन उठा रहे हैं। नेताजी की जयंती को पराक्रम दिसव के रूप में मनाया जाता है। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कुटृक गांव के एक बंगाली परिवार में श्री जानकी नाथ बोस और प्रभावती जी के घर हुआ था। उनके पिता उस वक्त के एक जाने-माने वकील थे। परिवार में वह खुद, माता-पिता, 7 भाई और 6 बहनों के साथ रहते थे। इनमें वह अपने माता-पिता की 9वीं संतान थे।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी को कटक के प्रसिद्ध वकील जानकीनाथ तथा प्रभावतीदेवी के यहां हुआ था। उन्हें राजनीति का अद्भुत खिलाड़ी भी कहा जाता है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस एक ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे जिनके आदर्शों को जो मान लेगा उसका जीवन सफल हो जाएगा। वे जो चाहते थे वह करते थे। भारत के इतिहास में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के समान कोई दूसरा नहीं हुआ, जो एक वीर सैनिक, महान सेनापति और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नेताओं के समकक्ष बैठकर कूटनीति तथा चर्चा करने वाला हो।