Why aurangzeb killed sambhaji maharaj: छत्रपति संभाजी महाराज, मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र थे। वे एक महान योद्धा, कुशल प्रशासक और धर्म के प्रति समर्पित थे। उन्होंने अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए अथक प्रयास किए और मराठा साम्राज्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। मात्र 32 साल की उम्र में मुगल बादशाह औरंगजेब ने उनकी निर्ममता से हत्या करवा दी थी लेकिन वो भी उनकी वीरता और बहाद्दुरी का मुरीद हो गया था। आइए जानते हैं संभाजी की वीरता के किस्से।
प्रारंभिक जीवन और उत्तराधिकार
संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को पुरंदर किले में हुआ था। वे बचपन से ही बहुत बुद्धिमान और साहसी थे। उन्हें 'छावा' यानी 'शेर का बच्चा' कहा जाता था। 1680 में शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद संभाजी महाराज मराठा साम्राज्य के छत्रपति बने।
फलों की टोकरी में छिप कर दिया मुगलों को चकमा
पुरंदर की संधि के बाद शिवाजी जब औरंगजेब से मिलने के लिए आगरा दरबार में आए तो औरंगजेब ने उन्हें छल से संभाजी के साथ किले में कैद करवा दिया। तब शिवाजी ने बीमारी का बहाना कर वहां रहना शुरू किया। एक दिन वे संभाजी के साथ फल–मिठाई की टोकरी में बैठकर आगरा के किले से भाग निकलने में कामयाब हो गए। शिवाजी और संभाजी के भागने से औरंगजेब बहुत परेशान हो गया था।
मुगल साम्राज्य के साथ संघर्ष
संभाजी महाराज को अपने शासनकाल में मुगल साम्राज्य के साथ कड़ा संघर्ष करना पड़ा। मुगल बादशाह औरंगजेब मराठा साम्राज्य को नष्ट करने के लिए पूरी कोशिश कर रहा था। संभाजी महाराज ने अपनी वीरता और रणनीति से मुगलों को कई बार हराया।
ALSO READ: क्या है छावा उर्फ संभाजी महाराज से सांभर का कनेक्शन, जानिए क्या है इस नाम के पीछे की कहानी ?
जब औरंगजेब ने संभाजी की मौत की खातिर उतार दिया अपना ताज
जब संभाजी की वीरता से औरंगजेब बहुत नाराज हो गया तो उसने कसम खाई कि अपने परिवार वालों को मारकर उसने जिस शाही ताज को हासिल किया था, वो ताज वह तब तक नहीं पहनेगा जब तक संभाजी को हरा नहीं देता । संभाजी के अपने साले गनोजी शिर्के और सौतेली मां के साजिशों की वजह से संगमेश्वर के युद्ध में संभाजी को बंदी बना लिया गया। औरंगजेब के सामने जब संभाजी को लाया गया, तो औरंगजेब ने उनकी जान के बदले मराठा, लेकिन संभाजी ने साफ मना कर दिया। जिसके बाद औरंगजेब ने उन्हें बहुत यातनाएं दी गईं। उनकी जुबान खींच ली गई, आंख निकाल लिए गए, लेकिन संभाजी नहीं डिगे। अंतत: उनकी हत्या बेरहमी से कर दी गई। लेकिन जब तक संभाजी रहे, मुगल दक्कन पर अपना राज्य कायम नहीं कर पाए।
बलिदान और शहादत
औरंगजेब ने संभाजी महाराज को बंदी बनाने के लिए छल का सहारा लिया। उन्हें मुगलों ने गिरफ्तार कर लिया गया औरंगजेब के सामने पेश किया गया। औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए कहा, लेकिन संभाजी महाराज ने इनकार कर दिया। इसके बाद उन्हें बहुत यातनाएं दी गईं। उनकी आंखें निकाल ली गईं, जीभ काट दी गई, और अंत में उन्हें बेरहमी से मार डाला गया।
छत्रपति संभाजी महाराज का बलिदान मराठा साम्राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। उनकी मृत्यु के बाद भी मराठों ने मुगलों के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखा और अंततः उन्हें हराने में सफल रहे। संभाजी महाराज की वीरता और बलिदान की कहानी आज भी लोगों को प्रेरणा देती है।
अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।