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उड़न तश्तरी से हवाई अड्डा बंद हुआ

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राम यादव

बॉन, जर्मनी , मंगलवार, 23 नवंबर 2010 (12:34 IST)
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अब तक ऐसी ख़बरें अधिकतर अमेरिका और यूरोप से आया करती थीं कि यहाँ उड़न तश्तरी (Un-identified Flying Object-- UFO) देखी गयी और वहाँ उड़न तश्तरी देखी गयी। इस बीच लगता है कि उड़न तश्तरियाँ उड़ाने वालों का चीन के प्रति कौतूहल कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है।

चीन के भीतरी मंगोलिया वाले इलाके में बौउतू नाम के एक बड़े हवाई अड्डे को वहाँ देखी गयी एक उड़न तश्तरी के कारण अक्टूबर के शुरू में कुछ समय के लिए बंद कर देना पड़ा। इस डर से कि वहाँ उड़ने-उतरने वाले विमानों की उससे कहीं टक्कर न हो जाये, उन्हें दूसरे हवाई अड्डों की तरफ़ मोड़ दिया गया। चीन के किसी हवाई अड्डे के पास उड़न तश्तरी देखे जाने की इस साल के भीतर यह तीसरी घटना बतायी जाती है।

अमेरिकी टेलीविज़न चैनल एबीसी ने तो इस उड़न तश्तरी की वीडियो क्लिप भी दिखायी है। उस में वह ट्यूबलाइट की तरह का एक चमकीला पाइप जैसी लगती है। बौउतू हवाई अड्डे के कर्मचारियों ने बताया कि उड़न तश्तरी ने हवाई अड्डे के ऊपर उड़ते हुए उस का चक्कर लगाया और फिर ग़ायब हो गयी। उन्होंने यह भी बताया कि उसे सबसे पहले हवाई यातायात नियंत्रण टॉवर के कर्मचारियों ने अपने राडार के पर्दे पर देखा। उन्हों ने उससे संपर्क साधने की कोशिश की, पर कोई जवाब नहीं मिला। ठीक उसी समय पेकिंग और शांघाई से तीन यात्री उड़ानें आने वाली थीं। उड़ान नियंत्रण टॉवर ने किसी संभावित टक्कर को टालने के विचार से इन विमानों को पास के दूसरे हवाई अड्डों की तरफ़ मोड़ दिया।

यदि वे चीनी सेना के विमान थे, तो उन्हों ने कंट्रोल टॉवर के संपर्क-प्रयासों के जवाब क्यों नहीं दिये? साथ ही, चीन जैसे देश में क्या यह संभव है कि चीनी सेना के विमान चार ही महीने के भीतर तीन हवाई अड्डों पर यात्री विमानों के लिए इस तरह ख़तरा बने?
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विचित्र बात यह है कि कुछ ही महीनों के भीतर चीन में अपने ढंग की यह तीसरी घटना है। बताया जाता है कि गत जुलाई में छेच्यांग प्रदेश में स्थित हांगछू शहर के हवाई अड्डे को कई दिनों के लिए बंद कर देना पड़ा, क्योंकि उस के पास के "आकाश में एक अजीब से आकार वाली चमकदार रोशनी" तैर रही थी। पिछली गर्मियों में हांकांग के ऊपर भी उड़न तश्तरी जैसी कोई चीज़ उड़ती हुई देखी गयी बतायी जाती है।

प्रश्न यह है कि आम बोलचाल की भाषा में जिन्हें उड़न तश्तरी कहा जाता है, क्या उनका सचमुच कोई अस्तित्व है? उन के बारे में आम धारणा यही है कि दूसरे ग्रहों-नक्षत्रों के इतरलोकीय प्राणी उन में बैठ कर पृथ्वी को देखने-परखने आते हैं। पर क्या यह संभव भी है? विज्ञान तो यही कहता है कि उस के सारे टेलेस्कोप, चाहे वे प्रकाशीय दूरदर्शी हैं या रोडियो दूरदर्शी, अभी तक कहीं, कोई ऐसा निशान, ऐसा संकेत नहीं पकड़ पाये हैं, जिस से पता चलता हो कि हमारी पृथ्वी से करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर भी कहीं किसी प्रकार की सभ्यता का अस्तित्व है। यदि कहीं, किसी सभ्यता का अस्तित्व है, तो वह इतनी दूर होनी चाहिये कि वहां से स्वयं प्रकाश और रेडियो तरंगों को भी, जिन से तेज़गति ब्रह्मांड में किसी और चीज़ की नहीं है, पृथ्वी तक पहुँचने में लाखों-करोड़ों वर्ष लगेंगे। ऐसे में वहां का कोई जीवधारी पृथ्वी तक तभी पहुँच सकता है, जब वह वस्तुत: या तो अमर हो या केवल अपनी कल्पनाशक्ति से जहां चाहे, वहां तुरंत पहुँच सकता हो।

चीन के तीन हवाई अड्डों पर एक ही साल के भीतर जो कुछ देखा गया बताया जा रहा है, उसकी ऐसी कोई वैज्ञानिक पुष्टि उपलब्ध नहीं है कि वह क्या था? चीनी अधिकारी कहते हैं कि वे नये प्रकार के चीनी सैन्य विमान भी हो सकते हैं। यहां भी एक प्रश्न यह उठता है कि यदि वे चीनी सेना के विमान थे, तो उन्हों ने कंट्रोल टॉवर के संपर्क-प्रयासों के जवाब क्यों नहीं दिये? साथ ही, चीन जैसे देश में क्या यह संभव है कि चीनी सेना के विमान चार ही महीने के भीतर तीन अलग-अलग हवाई अड्डों पर तीन बार यात्री विमानों के लिए इस तरह ख़तरा बन जायें कि इन हवाई अड्डों को बंद कर देना पड़े? दाल में ज़रूर कुछ काला है।

(चित्र सौजन्य - एबीसी टेलिवीजन)


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