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एक गोल्‍ड मेडलिस्‍ट बहादुर चूहे की मौत की कहानी जो पूरी दुनिया में हो रही है मशहूर, आखि‍र क्‍या है वजह?

हमें फॉलो करें एक गोल्‍ड मेडलिस्‍ट बहादुर चूहे की मौत की कहानी जो पूरी दुनिया में हो रही है मशहूर, आखि‍र क्‍या है वजह?
, शुक्रवार, 14 जनवरी 2022 (14:21 IST)
किसी प्रभावशाली या लोकप्र‍िय व्‍यक्‍त‍ि की मौत पर अक्‍सर खबरें बनती हैं, लेकिन शायद आपने नहीं सुना होगा कि एक चूहे की मौत की खबर पूरी दुनिया में सुर्खि‍यां बनती हो। जिसे एक हीरो की तरह माना जाता हो।
आइए जानते हैं एक ऐसे ही हीरो चूहे की कहानी जिसका नाम मगावा था।

दरअसल, यह अफ्रीकी चूहा लैंडमाइन्स की पहचान करने के खास हुनर की वजह से हमेशा सुर्खियों में था। मगावा नाम के इस पालतू चूहे ने कंबोडिया में दर्जनों लैंडमाइन का पता लगाया, जिससे उसे यूके की एक वेटनरी चैरिटी से गोल्ड मेडल मिला था। मगावा को इसके लिए खास प्रशिक्षण दिया गया था। हाल ही में उसकी मौत ने उसे एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।

दुनिया कई इलाकों में सैन्य संघर्ष के दौरान लैंड माइन बिछाई गई, लेकिन एक बार बिछने के बाद उन्हें हटाया नहीं जा सकता है, क्योंकि यह बहुत ही खतरे से भरा होता है।

हालांकि कंबोडिया में इन्हें हटाने के लिए एक अफ्रीकी चूहे का इस्तेमाल किया गया था। मगावा नाम के इस चूहे ने लैंडमाइन हटाने में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। रिटायर हो चुके 8 साल के इस चूहे की हाल ही में मौत हो गई, इस वजह से वो एक बार फि‍र से पूरी दुनिया में खबरों में है।

ट्रेनिंग में हुआ था तैयार
तंजानिया में पैदा हुए मगावा को अपने ही देश में विस्फोटकों की पहचान करने की खास ट्रेनिंग दी गई थी। तीन साल की उम्र में उसे  कंबोडिया के उत्तर पश्चिम में सिएम रीप ले जाया गया था जहां उसने 24 लाख वर्ग फुट के इलाके में 5 साल तक लैंडमाइन की पहचान करने का काम किया।

दक्षिणपूर्वी एशिया में स्थित कंबोडिया दुनिया के सबसे खतरनाक लैंडमाइन इलाकों के लिए जाना जाता है। यह विस्फोटक वियतनाम युद्ध और बीसवीं सदी के खूनी गृह युद्ध के दौरान बिछाई गई थीं। लेकिन तबसे इन्हें हटाया नहीं जा सका था और युद्ध खत्म होने के बाद भी कई लोगों की जाने जाती रहती थीं।

मगावा को प्रशिक्षित करने वाले संगठन एपोपो का कहना है कि उसने कुल 71 लैंडमाइन और 38 विस्फोटक सामग्री का पता लगाया था जब वह रिटायर हुआ था। इसके बाद सितंबर 2020 में उसे एक ब्रिटिश चैरिटी ने बहादुरी के लिए गोल्ड मेडल भी दिया था। इस तरह का सम्मान इससे पहले केवल कुत्तों को दिया जाता रहा है।

आखि‍र कैसे बहादूर चूहे की मौत?
अपोपो ने अपने बयान में कहा कि पिछले साल नवंबर में ही मगावा ने अपना 8वां जन्मदिन मनाया था। वह सामान्‍य था। लेकिन वह सोने ज्यादा लगा था और खाने में उसकी दिलचस्पी कम होने लगी थी। जिसके बाद उसकी मौत हो गई।

क्‍या है खासियत?
मगावा जैसे चूहे लैंडमाइन को खोजने में प्रशिक्षित किए जाते हैं, क्योंकि इनके हलके भार से लैंडमाइन फटती नहीं है जबकि लैंडमाइन के विस्फोटकों को उनकी गंध से वे पहचान लेते हैं जिन्हें खोज पाना इंसान यहां तक कि कुत्तों के लिए भी भारी जोखिम का काम है। जहां चूहे को एक भद्दा और बीमारी पैदा करने वाला जीव माना जाता है, मगावा को हमेशा एक सुपरहीरो की तरह देखा गया।

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