सांकेतिक चित्र
नदी, समुद्र और पहाड़ों व घाटियों पर सबसे बड़ा पुल अक्सर लोगों में कौतूहल पैदा करता है। इस पर से गुजरने का रोमांच कुछ और ही होता है। ऐसे पुल आम जनजीवन को तो आसान बनाते ही हैं, साथ ही पर्यटन स्थल के तौर पर भी ख्याति प्राप्त कर लेते हैं। यही वजह है कि एशिया में इन दिनों सबसे लंबा पुल बनाने की होड़ मची हुई है। खास तौर पर भारत और चीन के बीच।
वैसे भारत का सबसे लंबा पुल ब्रह्मपुत्र नदी पर बना भूपेन हजारिका सेतु ढोला-सदिया पुल है जो कि लगभग 9 किलोमीटर से कुछ ज्यादा है। इससे कम बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु है किसकी लंबाई साढ़े 5 किलोमीटर से कुछ ज्यादा है और इससे कम भारत का समुद्र पर बना पुल पाम्बन पुल है जो 2 किलोमीटर से कुछ ज्यादा लंबा है और इससे भी छोटा है कोलकाता का हावड़ा ब्रिज। भारत के इन पुलों से कई गुना बड़े पुल पश्चिमी देशों में।
जैसे अमेरिका के लुइसियाना प्रांत में बना लेक पोंचारट्रेन कॉजवे दुनिया में सबसे लंबा था। इसकी लंबाई लगभग 38.42 किमी है। इसके बाद ब्रिटेन और फ्रांस को जोड़ने वाली डॉवर-कैलेस क्रॉसिंग पुल की लंबाई 34.45 किमी के लगभग है। इंग्लैंड की केंट काउंटी का शहर है डॉवर। जबकि उत्तरी फ्रांस का शहर है, कैलेस। इंग्लिश चैनल बना है यह पुल। यहां से छोटे जहाजों या नौकाओं से डॉवर से कैलेस पहुंचा जाता है।
उपरोक्त सभी पुलों से बड़ा है चीन का किंगडाओ हाइवान सड़क पुल जो पूर्वी चीन के शैनडांग प्रांत के किंगडाओ शहर को जियाओझू की खाड़ी पर स्थित हुआंगडाओ से जुड़ता है। इस पुल की कुल लंबाई लगभग 42.50 किलोमीटर है। यह पुल 27 दिसंबर 2011 को बनकर तैयार हुआ था। इसे बनाने में करीब 381 अरब रुपए की लागत आई थी। इस पूल का वजन 4 लाख 50 हजार टन है और यह 5200 पिलर्स पर खड़ा किया गया है। यह इतना मजबूत है कि 8 मैग्नीट्यूड के भूकंप में भी नहीं गिरेगा। परंतु हम इस पुल की बात नहीं कर रहे हैं इससे भी बड़ा पुल चीन में ही स्थित है। आओ जानते हैं इस पुल के बारे में।
विश्व का सबसे लंबा समुद्री पुल हांगकांग-झुहाई-मकाऊ है जो 2017 में बनकर तैयार हुआ था। पर्ल रिवर एस्चुरी के लिंगदिंग्यांग जल क्षेत्र में बना 55 किलोमीटर लंबा यह पुल विश्व का सबसे लंबा समुद्री पुल है। इससे हांगकांग से झुहाई की यात्रा का समय 4 घंटे से घटकर महज आधा घंटा रह गया। इस ब्रिज का करीब 6.7 किलोमीटर का हिस्सा समुद्र के नीचे सुरंगनुमा शक्ल में है।
इस पुल को बनाने की शुरुआत 2009 में हुई थी। इसे तैयार करने में 60 एफिल टावर के बराबर 420,000 टन स्टील का प्रयोग किया गया है। इसे बनाने में करीब 80 हजार टन पाइप का इस्तेमाल किया गया। यह नदी और समुद्र पर बना दुनिया का छठा सबसे लंबा पुल है। पुल की सबसे खास बात है कि यह रिक्टर पैमाने पर 8 की तीव्रता वाले तूफान को झेल सकता है। इसकी गहराई 44 मीटर है। इस ब्रिज को तैयार करने में कुल 17.3 अरब डॉलर का खर्च आया है। इस पुल पर कार दौड़ाने का मजा ही कुछ और है। हजारों कारें प्रतिदिन इस पुल पर दौड़ती है। इस दौरान उनके आसपास दूर तक केवल पानी ही पानी नजर आता है।
आपको बता दें कि चीन ही वह देश भी है जहां दुनिया का सबसे लंबा रेल पूल भी है। शंघाई के पास स्थित दयांग-कुंशन रेल ब्रिज की लंबाई 164 किमी है। और जाते जाते यह भी जा लें कि चीन में अब इससे भी लंबा पुल बनाया जा रहा है। चीन में बन रहा दुनिया का सबसे लंबा केबल ब्रिज किंगशान यांग्त्जी नदी पर बनाया जा रहा है। इसका निर्माण चीन की रेलवे मेजर ब्रिज इंजीनियरिंग ग्रुप कंपनी द्वारा किया जा रहा है।