वर्ल्ड मॉस्क्यूटो प्रोग्राम की रिपोर्ट कहती है, हर साल 70 करोड़ लोग मच्छरों से फैलने वाली बीमारी से जूझते हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह भी कि आइसलैंड दुनिया में एक ऐसा देश है, जहां मच्छर ही नहीं होते।
आइसलैंड में मच्छर न होने की वजह है यहां की जलवायु। वर्ल्ड एटलस की रिपोर्ट कहती है, यहां की आबादी दूसरे देशों के मुकाबले कम है। आइसलैंड में करीब 1300 तरीके के जीव पाए जाते हैं, लेकिन मच्छर नहीं देखे जाते।
जबकि आइसलैंड के पड़ोसी देश ग्रीनलैंड, स्कॉटलैंड और डेनमार्क में मच्छर काफी संख्या में पाए जाते हैं।
दरअसल, वैज्ञानिकों का कहना है, मच्छरों के न होने की वजह है यहां का तापमान। आइसलैंड का तापमान माइनस में चला जाता है, नतीजा यहां पानी जम जाता है। ऐसी स्थिति में मच्छरों के लिए प्रजनन करना मुश्किल हो जाता है।
मच्छरों को प्रजनन के लिए पानी स्थिर पानी की जरूरत होती है। मच्छर के अंडों से बनने वाले लार्वा को एक विशेष तापमान चाहिए होता है, इसके बाद ही यह मच्छर में तब्दील हो पाते हैं। लेकिन यहां का तापमान ही ऐसा होता है कि मच्छर पनप ही नहीं पाता।
यहां के इतिहास में एक बार मच्छर पाया गया था। 1980 में आइसलैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गिस्ली मार ने एक मच्छर को कैप्चर किया था। उस मच्छर को एक जार में कैद किया गया। इस जार को आइसलैंडिक इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल हिस्ट्री में रखा गया है।