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विश्व की पहली गर्म खून वाली मछली

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वॉशिंगटन। वैज्ञानिकों ने विश्व की पहली ऐसी मछली को खोज निकाला है जिसका सारा खून गर्म है। यह एक मूनफिश है और इसका आकार कार के एक टायर जितना है। यह मछली अपने गलफड़ों को हिलाकर ऊष्मा पैदा कर करती है।
ओपाह या मूनफिश अन्य स्तनधारियों और पक्षियों की तरह गर्म खून का संचार पूरे शरीर में करती है,  इससे इसे महासागरों की गहराइयों में मौजूद ठंड में लाभ मिल जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि चांदी के रंग की यह मछली विश्वभर के महासागरों में पाई जाती है और यह इन  जलस्रोतों के सैकड़ों फुट नीचे मौजूद ठंडे एवं अंधकारपूर्ण जल में रहती हैं। यह पानी में अपने बड़े-बड़े लाल गलफड़ों को तेजी से इस तरह फड़फड़ाती हैं, मानो वे पंख हों।
 
इतनी ठंडी गहराइयों में रहने वाली मछली सामान्यत: धीमी और सुस्त होती है। वह अपने शिकार के  पीछे जाने के बजाय उस पर घात लगाकर हमला करती है और अपनी ऊर्जा बचाती है। लेकिन ओपाह के बारे में यूएस नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के वैज्ञानिकों ने  पाया है कि इसके द्वारा अपने गलफड़ों को लगातार फड़फड़ाने से इसका शरीर गर्म हो जाता है, इस  चयापचय, चाल एवं प्रतिक्रिया में लगने वाले समय में गतिशीलता आती है।
 
'साइंस' नामक जर्नल में छपे इस शोधपत्र के प्रमुख लेखक और एनओएए फिशरीज के कैलीफोर्निया स्थित  साउथवेस्ट फिशरीज साइंस सेंटर के निकोलस वेगनर ने कहा कि गर्म खून इस मछली को शानदार  प्रदर्शन करने वाली शिकारी बना देता है, जो कि तेज तैर सकती है, तीव्रता के साथ प्रतिक्रिया देती है और  ज्यादा स्पष्ट देखती है।
 
उन्होंने कहा कि इस खोज से पहले मुझे लगता था कि ठंडे पर्यावरण में पाई जाने वाली अन्य मछलियों  की तरह यह भी धीमी गति वाली मछली है। उन्होंने कहा कि लेकिन चूंकि यह अपने शरीर को गर्म कर सकती है इसलिए यह एक सक्रिय शिकारी  साबित होती है, जो कि स्किवड जैसे फुर्तीले शिकार को भी पकड़ लेती है और लंबी दूरी तक जा सकती  है। (भाषा)

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