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अफगान सीमा के बाहर चल रहे आतंकी समाप्त करें-भारत

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हमें फॉलो करें अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल
संयुक्त राष्ट्र , बुधवार, 21 मार्च 2012 (21:08 IST)
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अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल वर्ष 2014 के अंत तक अफगानिस्तान से पूरी तरह हटने की तैयारियों में जुटे हैं और इसी बीच भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वे युद्ध ग्रस्त अफगानिस्तान की सीमाओं के बाहर से चल रहे आतंकवाद को समाप्त करने की अपनी कोशिशें जारी रखें और काबुल की उसकी आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद करें।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि हरदीप पुरी ने कहा कि अफगानिस्तान में ‘ट्रांजिशन रिसेसन’ के निशान दिखने लगे हैं और जब से अंतरराष्ट्रीय समुदाय युद्ध प्रभावित देश की सहायता के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के आगे आने के बाद से विगत एक दशक में वहां प्रगति हुई है।

अफगानिस्तान में आतंकवादी हिंसा में कमी का कोई संकेत नजर नहीं आ रहा है और पिछले पांच वर्ष में नागरिकों की हत्याओं की संख्या भी बहुत ज्यादा रही है, यहां तक कि वर्ष 2011 में सबसे ज्यादा नागरिकों की हत्याएं हुई है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में अफगानिस्तान पर कल हुई चर्चा में पुरी ने कहा कि खतरनाक विचारधाराओं के परासरण, आकांक्षा, क्षेत्र में आतंकवाद के सिंडिकेट के बीच प्रशिक्षण और अभियान से आतंकवाद को लगातार प्रश्रय और समर्थन मिल रहा है और आत्मघाती आतंकवाद इसकी मुख्य तकनीक है तथा इनका निशाना अब केवल अफगानिस्तान तक सीमित नहीं है।

पुरी ने कहा कि हमें आतंकवाद के इस सिंडिकेट को कमजोर कर उसे उखाड़ फेंकने के लिए संगठित कार्रवाई करने की आवश्यकता है। अल-कायदा, तालिबान, लश्कर-ए-तय्यबा और अन्य आतंकवादी एवं कट्टरपंथी समूह खास तौर से अफगानिस्तान की सीमा के बाहर से काम कर रहे समूह आतंकवाद के इस सिंडिकेट का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वर्ष 2014 में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बलों के हटने के बाद अफगानिस्तान अकेला और असहाय नहीं महसूस करे।

पुरी ने कहा कि अफगानिस्तान को अपने विकास के लिए विस्तृत योजना बनाने की आवश्यकता है क्योंकि वह अभी सबसे कम विकसित देशों की कतार में खड़ा है और आतंकवाद का खतरा भविष्य में भी उसके सिर पर मंडराता रहेगा। (भाषा)

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