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ब्रह्मांड में आम नहीं हैं हमारे जैसा चाँद

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न्यूयॉर्क (भाषा) , शुक्रवार, 23 नवंबर 2007 (13:53 IST)
अगली बार जब आप चाँद की मद्धिम रोशनी में चहलकदमी करें या चौदहवीं के चाँद को निहारते हुए कुदरत के हुस्न की तारीफ करें तो मन ही मन यह कहना ना भूलें कि आप खुशनसीब हैं।

जी हाँ, बस चाँद की शीतल रोशनी या उसके दमकते चेहरे का दीदार इस ब्रह्मांड के दूसरे हिस्सों से संभव नहीं है। चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक दल ने व्यापक अध्ययन किया है और पाया है कि धरती के चाँद जैसे चंद्रमा इस ब्रह्मांड में विरले ही हैं।

'साइंस डेली' की एक रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों का कहना है कि चाँद का निर्माण ब्रह्मांड में होने वाले जोरदार टकरावों से होता है। अध्ययन दल का नेतृत्व करने वाली प्रो. नादया गोर्लोवा का कहना है जब किसी जोरदार टकराव से चंद्रमा का निर्माण होता है तो हर तरफ धूल बिखरी होनी चाहिए। अगर ढेर सारे चंद्रमाओं का निर्माण हुआ होता तो हम बेशुमार तारों के गिर्द धूल पाते, लेकिन ऐसा नहीं है।

नादया और उनके सहयोगियों ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप का उपयोग कर करीब 400 तारों के इर्दगिर्द इससे मिलते जुलते टकरावों में धूल के निशान खोजने की कोशिश की। नादया और उनके सहयोगियों ने जिन टकरावों का अध्ययन किया, वे सभी करीब 30 करोड़ साल पुराने थे।

अनुसंधानकर्ताओं के दल ने पाया कि उनके अध्ययन के दायरे में आने वाले 400 तारों में से केवल एक ही धूल में डूबा था। नादया ने बताया हमने जो तारा पाया उसकी उम्र औरों से ज्यादा थी। उसकी उम्र लगभग हमारे सूरज के बराबर थी, जब उसने ग्रहों का निर्माण का काम बंद किया था और पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली वजूद में आई थी।

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