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रूस ने किया रोरिक का सम्मान

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मास्को (भाषा) , रविवार, 13 सितम्बर 2009 (22:12 IST)
रूस ने भारत को अपना घर बनाने वाले विश्व प्रसिद्ध रूसी चित्रकार और विद्वान निकोलस रोरिक को आज सम्मानित किया।

रोरिक 1923 में भारत आए थे। वह सिक्किम, कश्मीर, लद्दाख, सिनक्यांग, रूस के साइबेरिया, अल्ताई क्षेत्र, मंगोलिया और तिब्बत में हिमालय पार के दुर्गम स्थलों से होते हुए चार साल के मध्य एशिया के अभियान पर गए थे।

मध्य एशिया अभियान के बाद 1928 में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में हिमालयन रिसर्च इंस्टीट्यूट उरूस्वती (भोर के तारे का प्रकाश) स्थापित किया था।

क्षेत्रीय गवर्नर अलेक्सेंडर कर्लिन ने रोरिक के संगमरमर से बनी आवक्ष प्रतिमा का अनावरण करने के बाद कहा कि रूसी भूमि पर महान चित्रकार और विद्वान की यह पहली मूर्ति है। यह प्रतिमा रोरिक की 135वीं जयंती के अवसर पर स्थापित की गई है।

एनजीओ 'वर्ल्ड ऑफ ट्रेडिशंस' की लुडमिला सेकाचेवा ने बताया कि रूस में यह भारत उत्सव के वर्ष के दौर महत्वपूर्ण घटना है।

उन्होंने कहा कि रूसी संसद की मदद से एनजीओ ने रूस एवं भारत की सांस्कृतिक विरासत संबंधी प्रदर्शनी का आयोजन किया है ताकि भारत उत्सव के दायरे को रूस के दूरदराज के क्षेत्रों तक फैलाया जा सके।

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