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लीवर कैंसर के प्रोटीन की पहचान

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वॉशिंगटन , गुरुवार, 23 अगस्त 2012 (19:55 IST)
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वैज्ञानिकों ने एक ऐसी जीन की खोज की है जो लीवर कैंसर से जुड़े प्रोटीन का वाहक है। इस खोज से लीवर कैंसर से बचाव का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

जार्जिया हेल्थ साइंसेज यूनिवर्सिटी कैंसर सेंटर के मुख्य अध्ययनकर्ता डॉ. अंतोजलजी होरुज्सको ने बताया कि उत्तेजना के लिए एक अहम अभिग्राही टीआरईएम.1 है। विषाणु या जीवाणु संक्रमण से लड़ने जैसे मामले में इसकी भूमिका उपयोगी है।

अध्ययनकर्ताओं ने चुहिया पर अध्ययन कर लीवर कोशिकाओं पर टीआरईएम.1 के प्रभाव के बारे में आंकड़े जुटाए और उपचार के लिए संभावित स्रोतों की पहचान की। यह अध्ययन कैंसर रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

लकवा पीड़ित दोबारा कर सकेंगे बातचीत : वैज्ञानिकों की एक नई खोज से लकवा पीड़ित लोग जल्द ही दोबारा बातचीत कर पाने में सक्षम हो सकेंगे। दरअसल, उन्होंने इस बात का पता लगाया है कि मस्तिष्क किस तरह से मानव को ‘स्वर’ का उच्चारण करने की इजाजत देता है।

संचार के एक नये रूप को तैयार करने के लिए वैज्ञानिक मस्तिष्क के तरंगों के उपयोग का परीक्षण कर रहे हैं। इससे भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग जैसे लकवा पीड़ित लोग फिर से बोलने में सक्षम हो सकेंगे।

हॉकिंग जब 21 साल के थे तब उन्हें ‘लोउ गेरींग’ रोग होने की जानकारी मिली थी अब वह 70 साल के हैं और अपनी बातों को अभिव्यक्त करने के लिए एक कंप्यूटरीकृत उपकरण पर निर्भर हैं। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के डॉ. इजाक फ्रेड ने बताया कि इस नयी खोज से लकवा पीड़ित लोग बोलने में सक्षम हो सकेंगे। (भाषा)

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