शरीफ ने दी सफाई, नहीं कहा 'देहाती औरत'
न्यूयॉर्क , सोमवार, 30 सितम्बर 2013 (08:36 IST)
न्यूयॉर्क। ‘देहाती औरत’ टिप्पणी के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इस मामले को लेकर परेशान हैं और जानकारी के अनुसार उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक संदेश भेजकर कहा है कि उन्होंने उनके लिए कभी भी ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। रविवार को नरेन्द्र मोदी ने दावा किया था कि पत्रकारों से बात करते हुए नवाज शरीफ ने मनमोहन को देहाती औरत कहकर अपमानित किया था।यहां वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों के अनुसार शरीफ को जैसे ही इस बात की जानकारी हुई है कथित टिप्पणी को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है तो उन्होंने अपने नजदीकी सहयोगियों को निर्देश दिया है कि वे जल्द से जल्द भारतीय अधिकारियों से सम्पर्क करें।ऐसा समझा जाता है कि शरीफ ने अपने विदेश सचिव जलील अब्बास जिलानी को यह जिम्मेदारी सौंपी कि वह सिंह को वास्तविक स्थिति के बारे में संदेश दें कि उन्होंने उनके लिए कभी भी ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया।जिलानी ने सुबह में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन से सम्पर्क करके पाकिस्तानी स्थिति समझाई। सूत्रों के अनुसार मेनन ने जिलानी से कहा कि उन्होंने ऐसे बयान की प्रमाणिकता की पुष्टि कर ली है और उन्हें वास्तविकता की जानकारी है। ऐसा समझा जाता है कि उन्होंने मेनन से कहा कि प्रधानमंत्री को भी इसके बारे में सूचना दे दी गई है। यह पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शरीफ के लिए बड़ी राहत के रूप में सामने आया।इससे पहले नवाज शरीफ द्वारा आयोजित सुबह के नाश्ते में मौजूद एक पाकिस्तानी पत्रकार ने इस बात से इनकार कर दिया कि शरीफ ने सिंह के लिए ‘देहाती औरत’ जैसे किसी शब्द का इस्तेमाल किया।उन्होंने यद्यपि कहा कि शरीफ इससे खुश नहीं थे कि सिंह ने जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से वाशिंगटन में मुलाकात की तो उन्होंने पाकिस्तान के बारे में ‘शिकायत’ की।पाकिस्तान के आज टीवी के पत्रकार अबसार आलम ने कहा, ‘उन्होंने कभी ऐसा शब्द नहीं कहा।’ उन्होंने कहा कि शरीफ ने अपनी अप्रसन्नता एक दंतकथा का उल्लेख करते हुए व्यक्त की।उन्होंने कहा, ‘यह कहानी इस तरह से है कि एक कार्यक्रम के बाद सभी लोग एक हॉल में सोते हैं। उनमें से एक सुबह उठता है और दुआ करते हुए कहता है अल्लाह देखिए मैं आपसे दुआ कर रहा हूं जबकि ये सभी सो रहे हैं। कुछ अन्य लोग उसे सुन लेते हैं। वे उससे कहते हैं कि तुम हमारी शिकायत करने की बजाय अपनी दुआ पर ध्यान क्यों नहीं लगाते।’ (भाषा)