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सू की भारी मतों से चुनाव जीतीं

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यांगून , सोमवार, 2 अप्रैल 2012 (11:08 IST)
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म्यांमार में 22 साल बाद लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बनीं 'लोकतंत्र समर्थक नेता' आंग सान सू की (65) की पार्टी ने दावा किया कि उन्होंने संसदीय उपचुनाव में बड़ी जीत हासिल कर ली है। वे पहली बार देश की संसद में बैठकर कार्यवाही में हिस्सा ले सकेंगी। उन्हें 99 प्रतिशत मत मिलने का दावा किया गया है।

उनकी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के एक अधिकारी ने पार्टी मुख्यालय के सामने एकत्रित हजारों समर्थकों के समक्ष काहमू संसदीय क्षेत्र से उनकी जीत की घोषणा की। नोबेल पुरस्कार विजेता सुश्री सू की के विजयी होने की सूचना मिलते ही उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए।

सुश्री सू की और उनकी पार्टी एनएलडी पूरे 22 साल बाद सेना और उसके समर्थन वाली सत्तारूढ़ पार्टी को चुनौती देते हुए चुनाव मैदान में उतरी है। सुश्री सू की ने इन चुनावों में अपने जीवन की पहली पारी खेली है। हालाँकि अभी तक चुनाव आयोग की अधिकृत घोषणा का इंतजार है। देश के 60 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।

म्यांमार में 8 अगस्त 1988 को सेना द्वारा आम नागरिकों और लोकतंत्र समर्थक छात्रों के बर्बर दमन के बाद सुश्री सू की की पार्टी वर्ष 1990 का आम चुनाव भारी मतों से जीत गई थी। वे उस दौरान नजरबंद थीं और सेना ने उनकी जीत को कभी स्वीकार नहीं किया।

आंग सान सू ची ने चुनावों में जीत को 'जनता की विजय' बताया और कहा कि इस मौके पर उनकी पार्टी के समर्थकों और कार्यकर्ता का खुश होना सामान्य बात है, लेकिन उन्हें ऐसे आचरण से बचना चाहिए जिससे अन्य दल दुखी हों।

इसके पहले उनकी पार्टी नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी ने घोषणा की थी कि वह पहली बार संसद के लिए चुनी गई हैं।

सू ची ने कहा कि इस मौके पर उनकी पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थकों का खुश होना सामान्य बात है। लेकिन उन्होंने कहा कि पार्टी समर्थकों को ऐसे शब्दों, व्यवहार और गतिविधि से परहेज करना चाहिए जिनसे अन्य दलों को नुकसान हो या वे उदास हों।

आधिकारिक तौर पर नतीजों की घोषणा एक हफ्ते में होगी। अगर पार्टी की घोषणा की पुष्टि होती है तो लंबे समय से लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन कर रहीं सू ची के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी। देश के पूर्व सैन्य शासक ने उन्हें 22 साल तक नजरबंद रखा था।

पर्यवेक्षकों का मानना है कि देश के अर्ध सैनिक सरकार की भी जरूरत है कि सू ची संसद की सदस्य बनें ताकि वह अपनी राजनीतिक व्यवस्था को वैध बता सके और पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से उसे राहत मिल सके।

रविवार को हुए उपचुनाव में सू ची के राजनीतिक दल ने 44 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। अगर सभी 44 सीटों पर भी उसके उम्मीदवार जीत जाते हैं तो सत्ता के संतुलन में कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि संसद में सेना और उसके राजनीतिक सहयोगियों का बहुमत है। (भाषा)

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