Sawan posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

जापान में परमाणु विकिरण का खतरा

Advertiesment
हमें फॉलो करें परमाणु रिएक्टर जापान
टोक्यो , सोमवार, 14 मार्च 2011 (10:14 IST)
भीषण भूकंप और सुनामी लहरों की विनाश लीला से जूझ रहे जापान में मृतकों का आँकड़ा 10 हजार तक पहुँचने की आशंका के बीच इसके तीन परमाणु रिएक्टरों से संभावित विकिरण को रोकने की मैराथन कोशिशें जारी हैं।

गत 11 मार्च को आए 8.9 तीव्रता वाले भूकंप ने सुनामी लहरों को जन्म दिया था जिसकी चपेट में आकर लाखों घर तबाह हुए हैं। इस प्राकृतिक आपदा की वजह से जापान में करीब 15 लाख लोग पानी और बिजली के अभाव में रह रहे है। सुनामी ने तो कई शहरों को ही मानचित्र से मिटा डाला है।

त्रासदी के इस दौर से निपटने में जुटे जापान सरकार की मुश्किलें फुकूशिमा दायची नाभिकीय परिसर स्थित तीन रिएक्टरों से बड़े पैमाने पर विकिरण होने की आशंका के चलते काफी बढ़ गई हैं। हालाँकि वैज्ञानिक इन क्षतिग्रस्त परमाणु संयंत्रों में विस्फोट की स्थिति रोकने के लिए हरसंभव कोशिशें कर रहे हैं। अगर इन संयंत्रों में विस्फोट हो जाता है तो भारी मात्रा में परमाणु विकिरण हवा में फैल जाएगा जिससे बड़ी मानवीय त्रासदी हो सकती है।

इस परिसर के तीनों रिएक्टर खतरे की जद में आ गए हैं। वैज्ञानिकों ने इन रिएक्टरों में तापमान को कम करने की कोशिश के तहत नियंत्रित मात्रा में रेडियोधर्मी भाप को हवा में छोड़ना शुरू कर दिया है। इसके अलावा समुद्र से बड़ी मात्रा में पानी को भी पम्पों के जरिए इन रिएक्टरों तक पहुँचाया गया है ताकि इनकी गर्मी पर काबू पाया जा सके।

दरअसल यह परमाणु संयंत्र भीषण भूकंप की चपेट में आ गया था जिससे इसकी छत क्षतिग्रस्त हो गई थी। भूकंप के तत्काल बाद एक रिएक्टर में हुए विस्फोट के बाद से ही खतरनाक रेडियोधर्मी पदार्थों का सीमित मात्रा में विकिरण हुआ था। उसके बाद दूसरे रिएक्टर में भी विस्फोट की आशंका पैदा हो गई। आज रात संयंत्र का तीसरा रिएक्टर भी विस्फोट के खतरे की जद में आ गया।

वैज्ञानिक रिएक्टरों का आपात कूलिंग सिस्टम खराब होने के बाद नाभिकीय ईंधन की छड़ों को ठंडा करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर ऐसा नहीं हो पाया तो इनमें विस्फोट हो सकता है जिससे बड़ी मात्रा में परमाणु विकिरण हो सकता है। यह परमाणु परिसर राजधानी टोक्यो से महज 240 किलोमीटर दूर है। इस बीच परमाणु परिसर के इर्दगिर्द बह रही हवा के आधी रात तक पश्चिमी दिशा की ओर से बहने की संभावना जताई गई है। ऐसा होने पर रेडियो धर्मी विकिरण से युक्त हवा मुख्य भूभाग की तरफ न जाकर समुद्र की तरफ चलेगी।

प्रधानमंत्री नावतो कान ने इन संयंत्रों से सीमित मात्रा में विकिरण होने की बात कबूल करके एक बड़े खतरे की आहट को लेकर आज आगाह भी कर दिया। नावतो ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हवा में विकिरण हुआ है लेकिन इसके अधिक मात्रा में निकलने की कोई सूचना नहीं है। मैं यहाँ पर यह साफ करना चाहता हूँ कि यह हादसा चेर्नोबिल परमाणु त्रासदी से पूरी तरह अलग है।

चिंतित नजर आ रहे जापानी प्रधानमंत्री ने इस पूरे घटनाक्रम को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे गंभीर संकट बताते हुए कहा कि समूचे देश को एकजुट होकर इस स्थिति का सामना करना होगा। उन्होंने देशवासियों को हरेक तरह की मदद मुहैया कराने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि सरकार मुश्किल की घड़ी में उनके साथ खड़ी है। (वार्ता)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi