फेसबुक-इंस्टाग्राम और ट्विटर पर इन दिनों #10YearChallenge नाम से एक चैलेंज चला रहे हैं जिसके तहत लोग 10 साल पुरानी और आज की फोटो को जोड़कर शेयर कर रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इस डेटा का इस्तेमाल चेहरा पहचानने की तकनीक को बेहतर करने में किया जा सकता है। लोगों का मानना है कि इस चैलेंज को फेसबुक ने शुरू किया ताकि लोगों का डेटा जुटाया जा सके और उसका इस्तेमाल फेशियल रिकॉग्निशन एल्गोरिदम को बेहतर बनाने में किया जा सके।
इसको लेकर टेक जर्नलिस्ट Kate O'Neill का मानना है कि फेसबुक इस चैलेंज को अपने फेशियल रिकॉग्निशन एल्गोरिदम को इम्प्रूव करने के लिए चला रहा है। केट ने इसको लेकर सबसे पहले ट्वीट किया, 10 साल पहले शायद मैं फेसबुक और इंस्टाग्राम पर चल रहे इस एजिंग मीम के साथ खेलती थी, लेकिन अब मैं यह सोच रही हूं कि फेशियल रिकॉग्निशन एल्गोरिदम को ऐज प्रोग्रेसन के बारे में ट्रेंड करने के लिए कैसे इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
Wired.com पर छपे अपने लेख में केट ने लिखा कि उनके इस ट्वीट ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया। उनका इरादा यह नहीं था कि वे इस मीम को खतरनाक बताएं। लेकिन फेशियल रिकॉग्निशन के बारे में जानने के बाद लोगों को इसके बारे में बताना भी जरूरी है। केट ने इस चैलेंज के जरिए लोगों की प्राइवेसी के साथ समझौता होने की आशंका जताई है।
उन्होंने आगे लिखा कि कुछ लोगों ने उनके इस ट्वीट की आलोचना भी की। लोगों ने लिखा कि फेसबुक के पास पहले से ही लोगों की सभी फोटो मौजूद हैं, फिर वह ऐसा क्यों करेगा। इस पर जवाब देते हुए केट ने लिखा कि ऐसे कई मीम में हम देखते हैं कि लोगों को निर्देश दिया जाता है कि वे अपनी पहली और अब की फोटो या फिर दस साल पहले और आज की फोटो को पोस्ट करें। फेसबुक के पास ऐसे कई लोगों की फोटो और डेटा मौजूद हैं लेकिन अगर हम अभी की बात करें कि आप अपने फेशियल रिकॉग्निशन एल्गोरिदम को ऐज रिलेटेड कैरेक्टस्टिक्स और ऐज प्रोग्रेसन के बारे में ट्रेंड करना चाहते हैं कि कैसे लोग बड़े हो रहे हैं तो क्या करेंगे। ऐसे में आप एक बड़ा डेटा तैयार करने की जगह एक निर्धारित साल को चुन लेंगे जिससे काम आसान हो जाए, जैसे 10 साल का गैप।
लेकिन कुछ लोग अपने प्रोफाइल पिक्चर में कुत्ते, कार्टून्स, वर्ड इमेज या अलग-अलग पेंटिंग्स का इस्तेमाल करने लगते हैं। ऐसे में उनका सही डेटा निकालना काफी मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा फेसबुक पर पोस्ट की गई प्रोफाइल पिक्चर असल में किस दिन ली गई है इसके बारे में भी नहीं पता होता। इसमें मेटा डेटा भी सही डेट को एक्सेस करने में असमर्थ होता है क्योंकि कई बार लोग अपनी स्कैन फोटो को भी प्रोफाइल पिक्चर बना लेते हैं या फिर एक ही फोटो कई बार अपलोड कर देते हैं।
हालांकि #10YearChallenge को लेकर फेसबुक के स्पोक्सपर्न ने कहा है कि फेसबुक का इससे कुछ लेना-देना नहीं है और यह यूजर जेनरेटेड मीम है जो अपने आप वायरल हो गया। उन्होंने कहा, फेसबुक ने इस ट्रेंड की शुरुआत नहीं की और मीम में इस्तेमाल किए गए फोटोज पहले से ही फेसबुक पर मौजूद हैं। फेसबुक को इस मीम से कुछ नहीं मिल रहा है। हम आपको याद दिलाना चाहेंगे कि फेसबुक यूजर्स फेशियल रिकॉग्निशन को अपने आप कभी भी ऑन और ऑफ कर सकते हैं।
अगर मान भी लें कि यह मीम सोशल इंजीनियरिंग का पार्ट नहीं है लेकिन पिछले सालों में कई बार ऐसे गेम्स और मीम्स को लोगों का डेटा निकालने के लिए इस्तेमाल किया जा चुका है। इसमें कैम्ब्रिज एनालिटिका का मामला सबसे बड़ा है जिसमें 70 मिलियन अमेरिकी फेसबुक यूजर्स के डेटा को विज्ञापन और अन्य कामों के लिए इस्तेमाल किया गया।
फेसबुक ने आरोपों को किया खारिज :
फेसबुक ने इन दावों को खारिज किया है। उसने इसे यूजर जनरेटेड मीम बताया है। फेसबुक का कहना है कि हमने यह चलन शुरू नहीं किया। मीम में इस्तेमाल किए गए फोटो फेसबुक पर पहले से ही मौजूद हैं। फेसबुक को इस मीम से कुछ नहीं मिल रहा। फेसबुक यूजर्स फेशियल रिकग्निशन को कभी भी ऑन या ऑफ कर सकते हैं। (एजेंसी)