इस्लामाबाद/कराची। पाकिस्तान में ईशनिंदा के मामले में ईसाई महिला को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी रहा। पाकिस्तानी सेना ने शुक्रवार को सैकड़ों कट्टरपंथियों को चेतावनी दी कि वे उसके 'धैर्य' का इम्तिहान न लें और बलप्रयोग से बचने के लिए शांतिपूर्वक अपने प्रदर्शनों को समाप्त कर दें।
4 बच्चों की मां आसिया बीबी (47) को पड़ोसियों से झगड़े के बाद इस्लाम की निंदा के लिए 2010 में सजा सुनाई गई थी। हालांकि वे खुद को बेकसूर बताती रहीं, लेकिन पिछले 8 साल में ज्यादातर समय उसने एकांत कारावास में बिताया।
गत बुधवार को पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद समूचे देश में प्रदर्शन शुरू हो गया। इस्लामी राजनीतिक पार्टी तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान और अन्य समूहों की अगुवाई में प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख राजमार्गों और देश के विभिन्न भागों में सड़कों पर जाम लगाया।
सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने सरकारी चैनल 'पीटीवी' को बताया कि आईएसआई के एक प्रतिनिधि समेत सरकारी दल प्रदर्शनकारियों से बात कर रहे हैं। सेना ने अपने खिलाफ प्रदर्शनकारी नेताओं के बयान देखे हैं लेकिन वह इसे सहन कर रही है, क्योंकि उसका ध्यान आतंकवाद पर है और वह देश को सुरक्षा समस्याओं से निकालना चाहती है।
उन्होंने कहा कि हमने धैर्य दिखाया है। हमारा इससे (बीबी के मामले से) कोई संबंध नहीं है लेकिन हम चाहते हैं कि न्याय की जीत हो। हम यह भी चाहते हैं कि सेना को (प्रदर्शनकारियों के खिलाफ) कोई कार्रवाई करने के लिए मजबूर नहीं किया जाए, क्योंकि कानून के तहत उसे ऐसा करने का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि सेना आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई को जीतने के करीब है और वह किसी मामले की वजह से इस उद्देश्य से भटकना नहीं चाहती है। पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन का यह तीसरा दिन है। लाहौर, इस्लामाबाद, कराची एवं अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों ने कई प्रमुख सड़कों पर जाम लगा दिया है। पंजाब में शिक्षण संस्थान बंद रहे जबकि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के साथ कराची और इस्लामाबाद जैसे शहरों में निजी स्कूल बंद रहे। समूचे पाकिस्तान में कई विश्वविद्यालयों ने मौजूदा तनाव को देखते हुए परीक्षा रद्द करने की घोषणा की गई है।
कराची आयुक्त कार्यालय से जारी अधिसूचना के अनुसार शहर के 6 जिलों में 22 स्थानों पर सड़कों और चौक-चौराहों पर जाम लगाया गया। शुक्रवार के बंद में करीब 14 धार्मिक दलों ने हिस्सा लिया जिसके कारण वाणिज्यिक एवं कारोबारी गतिविधियां प्रभावित हुईं।
एक कारोबारी ने बताया कि मौजूदा प्रदर्शन के चलते कराची में कारोबारी गतिविधियां लगभग बंद हो गई हैं, क्योंकि मजदूरों की तादाद बेहद कम है और ट्रक चालकों ने तैयार माल ले जाने से इंकार कर दिया है तथा सार्वजनिक परिवहन में बाधा आ रही है, इसके चलते श्रमिक अपने कार्यस्थलों पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। ट्रक चालक भी तैयार माल ले जाने से मना कर रहे हैं जिसके कारण उत्पादन में नुकसान और सामान पहुंचाने में देरी हो रही है।
कई इलाकों में पेट्रोल पंप, शॉपिंग सेंटर और बाजार बंद रहे, क्योंकि प्रदर्शनकारियों के समूहों ने शहर में धारा 144 लगने के बावजूद विभिन्न स्थानों पर धरना-प्रदर्शन किया। धारा 144 के तहत किसी स्थान पर 5 से अधिक लोगों के जमावड़े पर प्रतिबंध है। प्रमुख शहरों में मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवा भी बंद रही।
प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत नाकाम रहने की स्थिति में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सरकार द्वारा सेना के इस्तेमाल की बढ़ती आशंका को देखते हुए समूचे पाकिस्तान में अस्पतालों को हाईअलर्ट पर रखा गया है। बहरहाल, अधिकारियों द्वारा मामले में अहम कामयाबी मिलने के संकेत के बावजूद अब तक बातचीत की सफलता के बारे में कोई रिपोर्ट नहीं है।
तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान के प्रमुख खादिम हुसैन रिजवी ने कहा कि बातचीत नाकाम रही और उन्होंने शुक्रवार को पूर्ण बंद का आह्वान किया था। उन्होंने ट्विटर पर कहा कि सरकार के साथ बातचीत पूरी तरह नाकाम रही। बहरहाल, स्थानीय मीडिया उनके और अन्य नेताओं के भाषणों तथा साक्षात्कारों को लगभग पूरी तरह से नजरअंदाज कर रही है। सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि पूर्ण शांति है और लोगों को कोई घबराहट नहीं दिखानी चाहिए। (वार्ता)