बुद्ध यानी शांति के प्रतीक। हिंसा का कोई स्थान नहीं। उनकी मूर्तियों से भी शांति की अद्भुत आभा ही प्रस्फुटित होती है। लेकिन, अफगानिस्तान की नई सरकार का 'शांति' से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है।
अपने पुराने शासनकाल में तालिबान ने अफगान के बामियान क्षेत्र में शांति के प्रतीक बुद्ध की प्रतिमाओं का विध्वंस करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। तब मुल्ला हसन अखुंद देश के विदेशमंत्री और उपप्रधानमंत्री थे। बुद्ध की प्रतिमाओं पर आज भी गोलियों के निशान मौजूद हैं।
इस बार अखुंद अफगानी सरकार के मुखिया (अंतरिम प्रधानमंत्री) हैं और तालिबान सुप्रीमो मुल्ला हेबतुल्ला अखुंदजादा के करीबी भी हैं। मुल्ला हसन का जन्म कंधार में ही हुआ है, जहां तालिबान का जन्म हुआ। वे तालिबान के संस्थापकों में से भी एक हैं। अखुंदजादा भी कंधार से ही 'रिमोट कंट्रोल' से अफगान की नई सरकार को चलाएंगे।
मुल्ला हसन फिलहाल रहबरी शूरा (लीडरशिप काउंसिल) के प्रमुख भी हैं। अफगानिस्तान में हसन सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत करने वाले नेताओं में शामिल रहे हैं। अखुंद संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों की सूची में भी शामिल है।
अखुंद ने रहबरी शूरा के प्रमुख के रूप में 20 वर्षों तक काम किया। उनकी तालिबानी लड़ाकों के बीच अच्छी पैठ मानी जाती है। माना जाता है कि अखुंद की पृष्ठभूमि के सैन्य के बजाय धार्मिक ज्यादा है। हसद की शिक्षा भी पाकिस्तान के एक मदरसे में हुई थी।