मुख्य बिन्दु-
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अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी ने देश छोड़ा
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तालिबान का लगभग पूरे देश पर कब्जा
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विदेशी नागरिकों में अफगानिस्तान छोड़ने की होड़
काबुल। तालिबान के लड़ाके रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में घुस गए और केंद्रीय सरकार से बेशर्त आत्मसमर्पण करने को कहा है। दूसरी ओर, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया है। गनी के देश छोड़ने से पहले तालिबानी आतंकियों का एक दल राष्ट्रपति भवन सत्ता के हस्तांतरण के लिए पहुंचा था।
वहीं, अफगान और विदेशी नागरिकों के युद्धग्रस्त देश से निकलने की होड़ लग गई है। इस बीच, चौतरफा घिरी केंद्रीय सरकार को अंतरिम प्रशासन की उम्मीद है, लेकिन उसके पास विकल्प कम होते जा रहे हैं।
नागरिकों को डर है कि तालिबान सरकार फिर से क्रूर शासन लागू कर सकता है, जिससे महिलाओं के सभी अधिकार खत्म हो जाएंगे। लोग बैंकों में जमा अपने जीवनभर की कमाई निकालने के लिए एटीएम मशीनों के बाहर खड़े हैं।
अमेरिकी मदद भी काम नहीं आई : हेलीकॉप्टर आसमान में चक्कर लगा रहे हैं। वे कुछ अमेरिकी दूतावास से कर्मचारियों को निकालते देखे गए। कई अन्य दूतावास भी अपने कर्मचारियों को स्वदेश भेजने की तैयारी कर रहे हैं। तालिबान ने अपने आक्रमण को तेज करते हुए देश के बड़े हिस्से पर कब्जा जमा लिया और अफगान सुरक्षा बलों को अमेरिकी सेना के हवाई सहयोग के बावजूद खदेड़ दिया है।
तालिबान ने कई लोगों को हैरत में डाल दिया है, जिन्होंने सवाल उठाया कि अमेरिका के प्रशिक्षण और अरबों डॉलर खर्च करने के बावजूद सुरक्षाबलों की स्थिति खराब कैसे हो गई। कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी सेना ने अनुमान जताया था कि एक महीने से कम समय में ही राजधानी पर तालिबान का कब्जा हो जाएगा।
अमेरिकी दूतावास के निकट राजनयिकों के बख्तरबंद एसयूवी (स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल) निकलते दिखे और इनके साथ ही विमानों की लगातार आवाजाही भी देखी गई। हालांकि अमेरिका सरकार ने अभी इस बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं दी है। दूतावास की छत के निकट धुआं उठता देखा गया। अमेरिका के दो सैन्य अधिकारियों के मुताबिक राजनयिकों द्वारा संवेदनशील दस्तावेजों को जलाने से यह धुआं उठा।
तालिबान को सत्ता हस्तांतरण का इंतजार : तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कतर के अल-जजीरा अंग्रेजी उपग्रह समाचार चैनल को बताया कि चरमपंथी काबुल शहर के शांतिपूर्ण हस्तांतरण का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने अपने लड़ाकों और सरकार के बीच किसी भी संभावित वार्ता की जानकारी देने से इनकार कर दिया। हालांकि यह पूछने पर कि तालिबान किस तरह का समझौता चाहता है, इस पर शाहीन ने कहा कि वे चाहते हैं कि केंद्र सरकार बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण कर दे।
एक अधिकारी ने बताया कि सरकार की तरफ से वार्ताकारों में पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला, अफगान राष्ट्रीय सामंजस्य परिषद के प्रमुख शामिल हैं। अब्दुल्ला लंबे वक्त से राष्ट्रपति अशरफ गनी के मुखर आलोचक रहे हैं, जिन्होंने तालिबान के साथ समझौता करने के लिए सत्ता छोड़ने से इनकार कर दिया था। एक अधिकारी ने बंद कमरे में हुई वार्ता को तनावपूर्ण बताया।
कार्यवाहक रक्षा मंत्री बिस्मिल्ला खान ने एक वीडियो संदेश में कहा कि एक प्रतिनिधिमंडल को अधिकार दिया गया है जो अफगानिस्तान पर समझौता करने के लिए कल दोहा (कतर) जाएगा। मैं आपको काबुल की सुरक्षा का आश्वासन देता हूं।
तालिबान का लोगों को भरोसा : इससे पहले, चरमपंथियों ने भी राजधानी के निवासियों को शांत करने की कोशिश की। चरमपंथियों ने एक बयान में कहा, किसी के भी जीवन, संपत्ति और प्रतिष्ठा को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा अैर काबुल के नागरिकों की जान खतरे में नहीं डाली जाएगी।
इन आश्वासनों के बावजूद घबराए लोग काबुल हवाई अड्डे के जरिए देश छोड़ने की तैयारी में हैं। तालिबान के हर सीमा चौकी पर कब्जा कर लेने के कारण देश से बाहर जाने का यही एक मार्ग बचा है। चरमपंथियों के जलालाबाद पर कब्जा जमाने के कुछ घंटों बाद बोइंग सीएच-47 चिनूक हेलीकॉप्टर दूतावास के समीप उतरने लगे।
आमतौर पर सशस्त्र सेना को ले जाने वाले यूएच-60 ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर बाद में अमेरिकी दूतावास में उतरे। अमेरिका ने कुछ दिनों पहले अपने दूतावास से कर्मचारियों को निकालने में मदद के लिए हजारों सैनिकों को भेजने का फैसला किया था।
एक पायलट ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अफगान बलों ने पश्चिमी सेनाओं को छोड़ दिया है। इससे पहले एक अफगान विमान सैनिकों को लेकर कंधार से हवाई अड्डे पहुंचा जिन्होंने तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
अलग-थलग पड़े अशरफ : राष्ट्रपति अशरफ गनी भी अलग-थलग पड़ते दिखाई दिए। उन्होंने तालिबान का आक्रमण शुरू होने के बाद से पहली बार रविवार को देश को संबोधित किया। उन्होंने कुछ दिनों पहले जिन क्षत्रपों से बात की थी उन्होंने तालिबान के सामने हथियार डाल दिए या भाग गए जिससे गनी के पास सेना का समर्थन नहीं बचा।
इसी बीच, चरमपंथियों ने ऑनलाइन तस्वीरें पोस्ट की जिसमें उन्हें नांगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद में गवर्नर के कार्यालय में देखा जा सकता है। प्रांत के एक सांसद अबरारुल्लाह मुराद ने बताया कि चरमपंथियों ने जलालाबाद पर कब्जा जमा लिया है। शहर के कब्जे में आने के बाद कोई लड़ाई नहीं हुई।
अफगान सांसद हमीदा अकबरी और तालिबान ने बताया कि चरमपंथियों ने रविवार को मैदान वरदक की राजधानी मैदान शहर पर भी कब्जा जमा लिया। एक प्रांतीय परिषद के सदस्य ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि खोस्त में एक अन्य प्रांतीय राजधानी भी चमरपंथियों के कब्जे में चली गई है।
चरमपंथियों ने रविवार को तोरखाम में भूमि सीमा पर भी कब्जा जमा लिया। पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने स्थानीय प्रसारणकर्ता जियो टीवी को बताया कि चरमपंथियों के कब्जे में लेने के बाद पाकिस्तान ने वहां सीमा पार यातायात रोक दिया है।
बाद में बगराम हवाई ठिकाने पर तैनात सुरक्षा बलों ने तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। वहां एक जेल में करीब 5,000 कैदी हैं। बगराम के जिला प्रमुख दरवेश रऊफी ने रविवार को यह जानकारी दी। जेल में तालिबान और इस्लामिक स्टेट समूह दोनों के लड़ाके हैं।