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युद्ध का परिणाम, अलेप्पो के चिड़ियाघर में केवल एक जानवर!

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दमिश्क। सीरिया में 5 वर्ष से चल रहे गृहयुद्ध का परिणाम यह सामने आया है कि देश की 1 करोड़ 10 लाख लोगों की आबादी में से आधी जनसंख्या शरणार्थी बनकर दूसरे देशों में चली गई है। लड़ाई में कम से कम 4 लाख लोगों की मौत हो गई है वहीं देश में कुछेक ऐसी भी प्राणी हैं, जो कि अपने आप कहीं भी शरण मांगने नहीं जा सकते हैं। इनमें चिड़ियाघरों के जानवर शामिल हैं जिन्होंने लोगों के मनोरंजन के लिए चिड़ियाघरों में पिंजरों में रखा था। युद्ध से बर्बाद सीरियाई शहर अलेप्पो के एक छोटे से चिड़ियाघर में केवल 1 जानवर बचा है। 
वर्ष 2011 में देश में लड़ाई छिड़ने से पहले अलेप्पो के पश्चिमी हिस्से में स्थित सबील पार्क में 22 वर्षीय बबून एक लोकप्रिय प्राणी था। लेकिन देश में हिंसा के बाद समूचा देश तहस-नहस हो गया है और चिड़ियाघर सरकारी और विद्रोही सैनिकों के बीच जोर-आजमाइश का अखाड़ा बन गया है। युद्ध के कारण बबून, सईद (अरबी में जिसके नाम का अर्थ 'खुश' होता है) पहले जैसा खुश नहीं है। इस बारे में चिड़ियाघर के 52 वर्षीय अब्दुल्ला अल-जघाल का कहना है कि 'सईद अब उनका खुश नहीं रहता है जितना कि युद्ध से पहले के दिनों में रहता था।'
 
'अब वह बूढ़ा हो गया है और उसे कुछ समझ में आने लगा है कि अब उसे देखने आने वाले दर्शकों की संख्या बहुत कम हो गई है', जघाल का कहना है कि 'जब कभी वह गोलियां चलने और हथगोलों के फटने की आवाज सुनता है तो वह पिंजरे के सबसे ऊंचे स्थान पर चढ़ जाता है। तेज आवाजों से वह डर जाता है और उसे सामान्य होकर नीचे आने में काफी समय लगता है।' पार्क में रॉकेटों की मार से जानवरों को बचाने के लिए छोटी खाइयां भी खोदी गई हैं। पहले इस छोटे से चिड़ियाघर में काफी संख्या में बंदर और मोर थे, लेकिन अब उन सबकी मौत हो चुकी है।
 
लड़ाई के कारण न केवल सईद बीमार रहने लगा है, वरन उसकी पत्नी (मादा बबून) की भी मौत हो चुकी है इसलिए वह अलग-थलग रहने लगा है और चिड़ियाघर में आने वालों में कोई रुचि नहीं दिखाता है। सईद को लेकर एक छोटी-सी वीडियो फिल्म बनी है जिसमें एक महिला का कहना है कि बेचारे जानवर की हालत भी उसके परिवार की-सी हो गई है। जब शहर को लड़ाई के दौरान घेर लिया गया था, तब लोगों को खाना-पानी नहीं मिल पाता है। आज हम सईद की चिंता करते हैं कि बेचारे की क्या हालत हो गई है?

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