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अमेरिका में 'सौर तूफान' का अध्ययन करेंगे खगोलविद

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, सोमवार, 21 अगस्त 2017 (18:23 IST)
नई दिल्ली। अमेरिका में एक दशक बाद आज पूर्ण सूर्य ग्रहण पड़ रहा है और ऐसे में सौर कोरोना और सौर तूफान के अध्ययन के लिए नासा के अलावा भारतीय खगोल वैज्ञानिक पूरी तरह से तैयार हैं। सूर्य ग्रहण के दौरान उत्पन्न होने वाले सौर तूफान के कारण दूर संचार व्यवस्था और उपग्रहों को नुकसान होने की आशंका बनी रहती है और इस सूर्य ग्रहण के दौरान वैज्ञानिक इन सभी आयामों का अध्ययन करेंगे। 
 
एस्ट्रोनामिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के लोकसम्पर्क और शिक्षा समिति के अध्यक्ष निरूज रामानुजम ने कहा, सूर्य ग्रहण के दौरान जब सौर कोरोना सामने आता है और इस दौरान सौर तूफान उत्पन्न होता है, तब सूर्य से काफी मात्रा में विकिरण और कई तरह के कण निकलते हैं। इसका प्रभाव काफी मजबूत होता है। 
 
उन्होंने बताया कि कई बार इसका प्रभाव दो दिनों तक रहता है। इससे दूरसंचार व्यवस्था और अंतरिक्ष में उपग्रहों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इससे दूर संचार व्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचने की आशंका रहती है।
 
रामानुजम ने कहा, सौर तूफान के अध्ययन के माध्यम से हम सौर तूफान के प्रभावों के बारे में आंकड़ों का विश्लेषण करते हैं और इसका पूर्वानुमान लगाने का प्रयास करते हैं। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में एक दशक बाद पूर्ण सूर्य ग्रहण पड़ने वाला है। 21 अगस्‍त को सूर्य और पृथ्‍वी के बीच से चंद्रमा गुजरेगा, जिसकी वजह से सूर्य छिप जाएगा और सिर्फ इसका बाह्य हिस्‍सा यानि कोरोना आसमान में नजर आएगा। ओरेगन से लेकर साउथ कैरोलिना तक घुप्‍प अंधेरा छाने का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है।
 
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर आफ एक्सेलेंस इन स्पेस सोसाइटी ऑफ इंडिया के प्रमुख दिव्ए दू नंदी ने कहा कि भारतीय खगोलविदों का दल अमेरिका के सूर्य ग्रहण के दौरान सौर कोरोना के बारे में पूर्वानुमान व्यक्त करने में सक्षम है। हमारे देश के वैज्ञानिकों की इस सूर्य ग्रहण के दौरान सौर तूफान पर भी नजर रहेगी। 
 
नंदी ने कहा कि भारतीय खगोलविदों के दल ने सौर कोरोना के अनुमानित स्वरूप का आकलन किया है जो अमेरिका में पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान देखा जा सकेगा। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्ण सूर्य ग्रहण का नजारा अनोखा होगा। लोगों में इसको लेकर रोमांच पैदा हो गया है और कई तरह की सावधानी बरतने की बात भी कही जा रही है। अधिकारियों की मानें तो इस दौरान ट्रैफिक जाम की समस्‍या से भी दो-चार होना पड़ेगा, क्‍योंकि अंधेरे में यातायात परिवहन व्यवस्था के प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की गई है।
 
सूर्य की परिधि पर प्लाज्मा की किरणें दृष्टिगत होती है, जिन्हें कोरोना कहते हैं। रामानुजम ने कहा कि भारत में यह सूर्य ग्रहण नहीं देखा जा सकेगा, क्योंकि उस समय यहां रात होगी। सूर्य जब अपने प्रभाव में होता है, तब वह इतना चमकीला होता है कि उसके प्रभाव में कोरोना नहीं दिखाई देता है। लेकिन सूर्य ग्रहण के दौरान जब सूर्य और पृथ्वी के बीच से चंद्रमा गुजरता है, तब कोरोना दिखाई देता है। इस दौरान सूर्य के आकार में लगातार बदलाव आता रहता है और कोरोना का आकार भी बदलता रहता है।
 
यह 1918 के बाद लगने वाला पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण है। यूएस स्‍पेस एजेंसी सूर्य ग्रहण का लाइव प्रसारण भी करने वाली है। इंटरनेट के माध्यम से भी इसका प्रसारण करने की व्यवस्था की गई है। विशेषज्ञों ने इस दौरान लोगों से एहतियात बरतने की भी हिदायत दी है। (भाषा) 
 

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