संयुक्त राष्ट्र। अमेरिका ने चीन पर उइगर मुसलमानों तथा अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ जनसंहार और मानवता के विरुद्ध अपराध करने का शुक्रवार को आरोप लगाया, तो वहीं चीन ने अमेरिका पर भेदभाव, नफरत और अफ्रीकी एवं एशियाई मूल के लोगों की बर्बर हत्याओं का आरोप लगाया।
दोनों देशों के बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा में 'अंतरराष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उल्मूलन दिवस' समारोह में यह टकराव देखने को मिला। ये आरोप-प्रत्यारोप ऐसे समय में सामने आए हैं, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के पदभार संभालने के बाद अमेरिका तथा चीन के शीर्ष राजनयिकों ने अलास्का में आमने-सामने की पहली बैठक पूरी की है।
बैठक में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और चीन के विदेश मंत्री वांग ई ने एक-दूसरे के प्रति तथा दुनिया को लेकर बिलकुल विरोधाभासी विचार रखे। अमेरिकी राजदूत थॉमस ग्रीनफील्ड ने अमेरिकी इतिहास के बारे में आसामन्य रूप से बात करते हुए कहा कि दासता अमेरिका का असली पाप है। इसने हमारे संस्थापक दस्तावेजों और सिद्धांतों में श्वेत वर्चस्व तथा अश्वेत लोगों के प्रति हीनभावना डाली।
उन्होंने कहा कि दासता दुनिया के हर कोने में मौजूद है और दुखद है कि यह आज भी है। इसी तरह नस्लवाद भी आज एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि लाखों लोगों के लिए यह जानलेवा है, जैसे कि म्यांमार में, जहां रोहिंग्या मुसलमानों तथा अन्य का दमन किया गया तथा बड़ी संख्या में उनकी हत्याएं की गईं।
थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि चीन सरकार ने शिनजियांग में उइगर मुसलमानों तथा अन्य जातीय एवं धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ जनसंहार किया और मानवता के विरुद्ध अपराध किए। इस पर संयुक्त राष्ट्र में चीन के उप राजदूत दाइ बिंग ने कहा कि अमेरिका के ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। उन्होंने अमेरिका पर चीन के आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया और कहा कि झूठ केवल झूठ होता है और आखिरकार सच की जीत होगी। (भाषा)