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जब अमेरिकी सैनिक बन जाएंगे रोबोट

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वाशिंगटन , सोमवार, 1 मई 2017 (10:46 IST)
अमेरिका सरकार एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है जो कि अपने सैनिकों को महामानव (सुपर ह्यूमन) बनाने की हर कोशिश करने में जुटा हुआ है। अमेरिकी रक्षा एजेंसी 'डारपा' इस काम पर जुटी है कि सैनिकों के मस्तिष्कों को किस प्रकार नियंत्रित किया जाए। अमेरिकी सरकार के इस प्रोजेक्ट का नाम टीएनटी (टार्गेटेड न्यूरोप्लास्टिसिटी ट्रेनिंग) है। इस परियोजना के प्रभावी होने के बाद सैनिकों के सीखने, समझने की क्षमता बहुत अधिक बढ़ जाएगी। 
 
लेकिन, इस प्रयोग का एक नकारात्मक पहलू यह भी है कि इस कार्यक्रम के सफल रहा तो अमेरिकी सैनिक जीवित रोबोट बन जाएंगे। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस प्रक्रिया से सैनिकों के सीखने, समझने में 30 प्रतिशत सुधार देखने को मिलेगा। लेकिन इस परियोजना में पूरे प्रोजेक्ट को पूरा होने में कम से कम चार वर्ष का समय लगेगा। इस अवधि में सैनिकों के मस्तिष्क में सिनैप्टिक प्लास्टिसिटी को तेज करने की गतिविधियों पर काम किया जाएगा। 
 
डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्‍स एजेंसी ('डारपा') विद्युतीय उत्तेजना के जरिए सैनिकों के मस्तिष्क को तेज करना चाहती है। विदित हो कि वर्ष 2016 में घोषित हुए टीएनटी कार्यक्रम में डारपा ने अमेरिका के 7 संस्थानों- यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास, एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी, जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा, यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड, और राइट स्टेट यूनिवर्सिटी- को 8 शोध कार्य सौंपे हैं जिनका समन्व‍ित प्रसास अमेरिकी सैनिकों को सुपर सोल्जर बनाने में सक्षम होगा। (एजेंसी)

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