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हवा में जमी बर्फ, साइबेरिया में हुआ आर्कटिक ब्लास्ट

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, शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016 (18:13 IST)
रूस के साइबेरिया में ठंड के कहर से लोग परेशान हैं। यहां पारा माइनम 62 डिग्री पहुंच गया है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हालात क्या होंगे। ठंड के कारण लोगों के बाल, आइब्रो और दाढ़ी पर बर्फ जम गई है। तापमान ने पिछले 83 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। इससे पहले 6 फरवरी 1933 को यहां का तापमान माइनस 67.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था। इस पूरे तापमान के पीछे आर्कटिक ब्लास्ट को कारण बताया जा रहा है। 
आर्कटिक ब्लास्ट के कारण जगह-जगह हवा में भी बर्फ जमने की खबर आ रही है। जानलेवा ठंड से परेशान  जंगली जानवर हिरण और घोड़े तक भागकर यहां बने रिहाइशी इलाकों की ओर आ रहे हैं। हाड़ जमा देने वाली ठंड के कारण यातायात भी ठप है। यहां जनवरी में पारा माइनस 60 डिग्री सेल्सियस रहता है, लेकिन दिसंबर में ऐसे हालात बन गए हैं।
 
आईब्रो, दाढ़ी पर जमी बर्फ : रूस के साइबेरिया में पारा माइनस 62 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। लोगों के बाल, आईब्रो और दाढ़ी तक पर बर्फ जम गई है। कार और बाइक चोक हो गई हैं, क्योंकि गाड़ियों में भर पेट्रोल-डीजल भी जम चुका है। मोबाइल समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी बंद हो गए हैं। सबसे ज्यादा ठंड काउंटी मानसी इलाके में दर्ज की गई।  सर्दी से पूरे इलाके में यातायात ठप हो गया है। तापमान बेहद कम होने की वजह से अक्षांश वाले इलाकों में बर्फीला तूफान चलने लगता है। पूरे इलाके में बर्फ की मोटी परत जमा हो जाती है। साइबेरिया में बन रहे इन हालातों के पीछे आर्कटिक ब्लास्ट को कारण बताया जा रहा है।
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क्या होता है आर्कटिक ब्लास्ट : पृथ्वी पर सबसे ठंडा स्थान अंटार्कटिका है। उत्तरी ध्रुव को आर्कटिक भी कहा जाता है। यहां महासागर भी है। यहां माइनस 89.2 डिग्री सेल्सियस तापमान रहता है। साइबेरिया आर्कटिक के करीब है, यही कारण है कि इलाके में आर्कटिक ब्लास्ट का सबसे अधिक प्रभाव होता है। ठंड के चलते तापमान बेहद कम होने के कारण अक्षांश वाले इलाकों में बर्फीला तूफान चलने लगता है। पूरे इलाके में बर्फ की मोटी परत जम जाती है। इस घटना को आर्कटिक ब्लास्ट कहा जाता है। 

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