Bangladeshi Golden Chicken : चिकन तंदूरी, बटर चिकन मसाला और चिकन से ही बने स्वादिष्ट डिशेज आजकल सभी खाते हैं। चिकन खाना एक फैशन और एक तरह का ट्रेंड है। इसलिए नॉनवेज के शौकीन देसी चिकन की तलाश में कहां कहां नहीं जाते। जाहिर है चिकन से प्रोटीन भी अच्छा खासा मिलता है।
जो लोग जिम जाते हैं और व्यायाम करते हैं वे ज्यादातर चिकन खाते हैं। बाजार में चिकन शॉप की भरमार है। ड्राय चिकन से लेकर चिकन करी तक में कई तरह की डिशेज चिकन कैटेगरी में सर्व की जा रही है। लेकिन आपको अंदाजा भी नहीं होगा कि देसी चिकन के नाम पर आप हो सकता है गोल्डन मुर्गा (Golden Chicken ) तो नहीं खा रहे हैं।
जी हां, गोल्डन मुर्गा यानी बांग्लादेश का वो मुर्गा जिसकी भारत में जमकर तस्करी हो रही है। एक मीडिया रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि देसी मुर्गे के नाम पर बांग्लादेश का गोल्डन मुर्गा बेचा जा रहा है। लोग इसे देसी समझकर खा रहे हैं। जानते हैं क्या कहती है ये रिपोर्ट।
भारत में मुर्गों की तस्करी : एक मीडिया के रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के इंग्लिश बाजार से तस्करी का एक आंखें खोलने वाला मामला सामने आया है। इस खुलासे में कहा गया है कि बहुत बड़े पैमाने पर अवैध रूप से बांग्लादेश से गोल्डन मुर्गों की भारत में तस्करी हो रही है। बता दें कि इन मुर्गों को देशी मुर्गा बताकर पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में धड़ल्ले से आम लोगों को बेचा जा रहा है।
कहां है सबसे ज्यादा डिमांड : रिपोर्ट में बताया गया कि इन मुर्गों की डिमांड यूं तो कई शहरों और राज्यों में बहुत ज्यादा है। लेकिन इन बांग्लादेशी गोल्डन मुर्गों की डिमांड झारखंड और बिहार में सबसे ज्यादा हो रही है। दरअसल इसके पीछे जो वजह है वो कीमत है। बताया जा रहा है कि देशी मुर्गों की कीमत काफी ज्यादा है, वहीं, बांग्लादेशी गोल्डन मुर्गें उसकी तुलना में बहुत सस्ते होती हैं, इससे विक्रेताओं को बहुत मुनाफा होता है।
कितनी है गोल्डन मुर्गों की कीमत : मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मालदा जिले के कुछ तस्कर बांग्लादेश से 25 से 30 रुपए जोड़े के भाव से गोल्डन मुर्गें खरीद कर भारत लाते हैं और इन मुर्गों को मार्केट में बेच देते हैं। इसके अलावा इनमें से कई तस्कर चोरी छिपे इलाकों में अवैध रूप से इन मुर्गों फार्मिंग भी कर रहे हैं। जबकि भारत के कई शहरों में देसी मुर्गों की कीमत 700 से 800 रुपए तक है।
कैसे करे देसी और गोल्डन मुर्गे में फर्क : बांग्लादेश के ये गोल्डन मुर्गे भारत के पोल्ट्री मुर्गों के तरह ही होते हैं। इन मुर्गों को तैयार करने में बहुत कम समय लगता है, जिसकी वजह इनका मांस और हड्डियां काफी मुलायम होते हैं। अगर भारत के देसी मुर्गों की बात करें तो भारत के देशी मुर्गे खुले में रहते हैं और उनको बड़ा होने में काफी समय लगता है। इसलिए उनका मांस और हड्डियां थोड़ी सख्त होती है। देशी मुर्गे का चिकन खाने पर स्वाद भी मिलता है। वहीं, बांग्लादेश के गोल्डन मुर्गों में वह स्वाद नहीं पाया जाता। भारत के पोल्ट्री मुर्गों की तुलना में उसका स्वाद काफी फीका लगता है।
Edited By : Navin Rangiyal