नई दिल्ली। सोलह वर्षीय लड़की से बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले 77 वर्षीय आसाराम के खिलाफ बलात्कार का यह कोई एकमात्र मामला नहीं है, बल्कि दो अन्य महिलाओं ने भी उस पर तथा उसके बेटे पर इस तरह के आरोप लगा रखे हैं और वे न्याय का इंतजार कर रही हैं।
ये दोनों महिला बहनें हैं और उनका मामला गांधीनगर की एक अदालत में लंबित है। सूरत की रहने वाली इन बहनों ने आरोप लगाया था कि आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं ने उन्हें बंधक बनाकर रखा और बलात्कार किया।
जोधपुर बलात्कार मामले में आसाराम को जहां सितंबर 2013 में गिरफ्तार किया गया था, वहीं उसके बेटे नारायण साई को सूरत निवासी बहनों की शिकायत पर दिसंबर 2013 में गिरफ्तार किया गया था। बड़ी बहन ने जहां यह आरोप लगाया था कि आसाराम ने गुजरात के मोटेरा आश्रम में उसके साथ 1997 से 2006 तक बार-बार बलात्कार किया, वहीं छोटी बहन ने आरोप लगाया था कि साईं ने सूरत स्थित एक आश्रम में 2002 से 2005 तक उसका यौन शोषण किया।
इनमें से एक बहन ने यह भी आरोप लगाया था कि आसाराम की पत्नी और बेटी भी महिलाओं के यौन शोषण में इन दोनों लोगों की मदद किया करती थीं। राज्य पुलिस ने 2014 में दायर अपने आरोप-पत्र में आसाराम के अतिरिक्त आरोपियों में उसकी पत्नी लक्ष्मी, बेटी भारती, और चार महिला अनुयायियों- ध्रुवबेन, निर्मला, जस्सी और मीरा का नाम भी लिया था।
उच्चतम न्यायालय ने इस महीने के शुरू में आसाराम की जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी थी और मामले में साक्ष्य दर्ज करने का काम पूरा करने में विलंब को लेकर गुजरात पुलिस की खिंचाई की थी और उसे प्रक्रिया को पांच हफ्ते के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया था।
शीर्ष अदालत ने पुलिस से मुकदमे की स्थिति के बारे में पूछते हुए कहा था कि महीनों तक ऐसा नहीं चल सकता है। सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि पीड़िताओं का बयान दर्ज कर लिया गया है। आसाराम के खिलाफ सिर्फ बलात्कार के मामले ही नहीं हैं, बल्कि वह मध्यप्रदेश में 700 करोड़ रुपए मूल्य की जमीन पर कब्जा करने के आरोपों में भी मुकदमे का सामना कर रहा है। मामला मध्यप्रदेश के रतलाम में 200 एकड़ जमीन से संबंधित है। (भाषा)