वॉशिंगटन। बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम पिछले एक वर्ष में भाजपा के प्रदर्शन का प्रत्यक्ष और नकारात्मक मूल्यांकन दिखाता है, यह विचार अमेरिका के एक विशेषज्ञ का है जबकि देश की मीडिया ने इस हार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए ‘बड़ा राजनीतिक झटका’ बताया है।
मिशिगन विश्वविद्यालय में मार्केटिंग के प्रोफेसर पुनीत मनचंदा का कहना है कि दिल्ली में आप की जीत से अलग, जो कि सामान्य तौर पर नेताओं से मतदाताओं के मोहभंग का प्रतिबिंब था, लेकिन यह हार पिछले एक वर्ष में भाजपा के प्रदर्शन के ज्यादा प्रत्यक्ष और नकारात्मक मूल्यांकन को दिखाता है।
उन्होंने कहा कि ऐसा मालूम होता है कि सरकार की आर्थिक और सामाजिक नीतियों को लेकर गंभीर चिंता है। इस विचार पर कि बिहार जैसे राज्य में हार मिलना भाजपा के लिए वाकई बड़ा झटका है, मनचंदा ने कहा कि यह ऐसे वक्त में आर्थिक सुधारों की हवा निकल सकती है, जब उनमें तेजी आनी चाहिए।
मनचंदा ने कहा कि विपक्ष के लिए यह जीत दिखाता है कि सत्तारूढ़ दल के खिलाफ जीतने का बेहतरीन तरीका दलों का गठबंधन है और किसी भी अकेली पार्टी में ऐसा करने का दम नहीं है। बिहार के 243 सदस्ईय विधानसभा में धर्मनिरपेक्ष महागठबंधन को 41.9 प्रतिशत मतों के साथ 178 सीटें मिली हैं जबकि भाजपा नेतृत्व वाली राजग को 34.1 प्रतिशत मतों के साथ महज 58 सीटें मिली हैं।
अमेरिकी मुख्यधारा मीडिया में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली गठबंधन के हाथों भाजपा की हार को काफी जगह मिली है। ज्यादातर खबरें संवाद समितियों के हवाले से दी गई हैं।
‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ की हेडलाइन है कि महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव में भारत की सत्तारूढ़ पार्टी ने हार स्वीकार की। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने ‘महत्वपूर्ण राज्य के विधानसभा चुनाव में मोदी ने पार्टी की हारी स्वीकार की’ शीर्षक वाली खबर में लिखा है, प्रधानमंत्री को ‘गंभीर राजनीतिक झटका लगा है’ और इसने भाजपा को ‘महत्वपूर्ण स्थान’ से बाहर निकाल दिया है, जहां से वह पश्चिम बंगाल जैसे बड़े प्रदेश सहित पूर्वोत्तर भारत में अपनी राजनीतिक प्रभावकारिता स्थापित करना चाहती थी।
‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ को लगता है कि प्रतिद्वंद्वी जदयू के हाथों भाजपा की हार ‘बड़ा झटका’ है, जो मोदी के आर्थिक एजेंडे को कमजोर कर सकता है। वित्तीय अखबार की खबर है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पार्टी को महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव में हार मिली, एक बड़ा झटका जो उनकी सरकार के लिए आर्थिक एजेंडे को आगे बढ़ाना मुश्किल बना सकता है।
लोकप्रिय ‘नेशनल पब्लिक रेडियो’ की खबर के अनुसार 'बड़ी हार क्या मोदी प्रशासन को अपना टोन और रास्ता बदलने को प्रेरित करेगी, कैबिनेट में संभावित बदलावों से इतर, यह बड़ा प्रश्न है।'
इंडियन नेशनल ओवरसीज कांग्रेस, अमेरिका के अध्यक्ष जॉर्ज अब्राहम ने एक बयान में कहा कि बिहार के लोगों ने बहुत तेज और स्पष्ट आवाज में यह कहा है कि वे बढ़ती असहिष्णुता और भाजपा द्वारा ध्रुवीकरण को सिरे से खारिज करते हैं जिसे पार्टी सत्ता में आने के बाद से ही बढ़ावा दे रही है।
अब्राहम ने कहा कि बिहार ने यह दिखाया है कि कैसे लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष बल साथ मिलकर पुरातनपंथी बलों को हरा सकते हैं और विधि के शासन तथा सभी नागरिकों के लिए समान अवसर पर आधारित शासन वाला देश बना सकते हैं। (भाषा)