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कपड़ा जो किसी को नहीं दिखता

हमें फॉलो करें कपड़ा जो किसी को नहीं दिखता
, सोमवार, 2 अप्रैल 2018 (13:50 IST)
न्यू यॉर्क । यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रो. एलन गोरोडेटस्की और उनके साथी वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कपड़ा बनाने में सफलता पाई है जोकि किसी को भी नजर नहीं आता है। इतना ही नहीं, यह कपड़ा तापमान में भी बदलाव कर सकता है।  
 
वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्री जीव स्कि्वड के गुणों - स्वभाव से प्रेरित होकर वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कपड़ा विकसित किया है जो गायब हो जाता है अर्थात किसी को भी दिखाई नहीं देता है। यह कपड़ा अपने द्वारा प्रतिबिंबित किए जाने वाले ताप के तरीके में बदलाव कर सकता है। इस लिबास को उस उपकरण की मदद से भी नहीं देखा सकता जो रात में महीन और बारीक चीजों का भी पता लगा लेते हैं। इस तरह आप इसे नाइट विजन कैमरों से भी नहीं देख सकते हैं।
 
यह सौम्य और महीन कपड़ा खींचे जाने या बिजली से चालू करने पर एक सेकेंड के अंदर अपनी सतहों को बहुत तेजी से सपाट बना या सिकोड़ सकता है। कपड़े की इस विशेषता के कारण इंफ्रारेड (रात्रि दृष्टि) उपकरणों के जरिए भी इसका पता नहीं लगाया जा सकता। 
 
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर एलन गोरोडेट्स्की ने कहा कि हमने एक सौम्य कपड़े का आविष्कार किया है जो स्क्विड की त्वचा की तरह ही ताप को प्रतिबिंबित कर सकता है। यह आविष्कार सैन्य टुकड़ियों के बेहतर ढंग से छिपने में मददगार हो सकता है। साथ ही यह अंतरिक्षयानों के लिए बेहतर इंसुलेशन उपलब्ध कराने, भंडारण के लिए बेहतर डिब्बे बनाने, आपातकाल शिविर, नैदानिक देखरेख और हीटिंग व कूलिंग सिस्टम के निर्माण में भी सहायक हो सकता है।
 
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, इरविन, में विकसित किए गए मैटेरियल या सामग्री से सैनिकों और इमारतों को पूरी तरह से अदृश्य बनाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी सौम्य धातु विकसित की है जो स्कि्वड की त्वचा तरह से रोशनी को प्रतिबिंबित करती है। यह सैडविंच्ड अल्यूमीनियम, प्लास्टिक और स्टिकी टेप से बनाया गया है। 
 
इसके पतले नमूने मात्र सेकंड में ही गर्मी के चलते अपना आकार बदल लेते हैं और इसके जरिए गर्मी को बदलते हुए रूपों में लाया जा सकता है। यह धातु ग्लॉसी धरातल की तरह से झुर्रीदार धूसर रंग के नमूनों में बदल जाती है। लेकिन तब जब इसे हाथ से खींचा जाता है या फिर इलेक्ट्रिकली सक्रिय बनाया जाता है। 
 
गोरोडेट्स्की ने कहा कि उन्होंने यह अनोखी तकनीक विकसित करने के लिए वैज्ञानिक कल्पना और वैज्ञानिक तथ्य दोनों को मिलाया गया है। इस आविष्कार से जुड़ा अध्ययन 'साइंस' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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