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ब्रिटेन होगा यूरोपीय संघ से अलग, भारत को होंगे ये 5 नुकसान...

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हमें फॉलो करें ब्रिटेन होगा यूरोपीय संघ से अलग, भारत को होंगे ये 5 नुकसान...
, शुक्रवार, 24 जून 2016 (12:43 IST)
ब्रिटेन के लोगों ने यूरोपीय संघ के अलग होने के फैसले पर 48 के मुकाबले 52 फीसदी मतों से अपनी मुहर लगा दी है। नतीजों से साफ़ है कि अब ब्रिटेन यूरो जोन का हिस्सा नहीं रहेगा। ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में न रहने के कारण मुंबई शेयर बाजार में 900 से अधिक अंकों की भारी गिरावट देखी गई है। उधर रुपया भी डॉलर के मुकाबले 78 पैसे तक गिर गया।
ब्रिटेन में हुए इस बदलाव का भारत पर भी बहुत असर पड़ सकता है। ब्रिटेन के इस फैसले से भारत को ये पांच मुसीबतें भी झेलनी पड़ सकती हैं...
 
1. भारतीय रुपए पर असर : ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने की स्थिति में पाउंड का गिरना तय माना जा रहा है। इसकी शुरुआत हो भी चुकी है। नतीजों के बाद पाउंड एक ही दिन में ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। वर्ष 1985 के बाद डॉलर के मुकाबले पाउंड में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। ऐसे में डॉलर के दामों में वृद्धि होना भी तय है। डॉलर के दाम बढ़ने का असर भारतीय रुपए पर भी पड़ेगा और उसकी कीमत में भारी गिरावट की आशंका है।
 
2. डॉलर महंगा तो तेल भी महंगा : फिलहाल ज्यादातर कच्चे तेल की खरीदारी पेट्रो डॉलर में ही की जाती है। डॉलर का दाम बढ़ने से भारत के लिए भी कच्चे तेल का आयात महंगा हो जाएगा और इसका असर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के रूप में भी दिखाई देगा। पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से बाकी चीजें भी महंगी होना तय माना जा रहा है।
 
3. 800 भारतीय कंपनियों को नुकसान : यूरोपीय संघ से अलग होने पर ब्रिटेन और भारत के व्यापारिक संबंधो में तो सुधार आने की संभावना है, लेकिन पहले से कारोबार कर रहीं 800 कंपनियों के लिए यह घाटे का सौदा है। अब उन्हें महंगे डॉलर पर निर्भर होना होगा।
 
4. दूसरे देश भी छोड़ेंगे यूरोपीय संघ तो होगी दिक्कत : ब्रिटेन के अलग होने के बाद अब दूसरे देश भी यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए कोशिशें करेंगे। ऐसे में पाउंड की हालत और खराब होगी और डॉलर का रसूख और बढ़ता जाएगा। 
 
5. वीजा नियम सख्त होंगे : यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने के बाद वीजा नियम सख्‍त होंगे। इसका भारतीय कंपनियों और वहां काम कर रहे लोगों पर भी असर होगा। इससे भारतीय लोगों की नौकरियों पर भी असर हो सकता है। अभी तक भारतीयर कंपनियां ब्रिटेन के माध्यम से ही यूरोपीय संघ में काम कर रही थी। लेकिन इस फैसले के बाद परिस्थितियां बदल जाएगी जिससे भारतीय कंपनियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

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