लंदन। कर्मचारियों पर हिजाब जैसे धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की कंपनियों को इजाजत देने के यूरोपीय अदालत के फैसले पर ब्रिटिश सिखों ने चिंता जताते हुए कहा कि इससे महादेश में समुदाय के करीब तीन लाख लोग प्रभावित होंगे।
ब्रिटेन सिख फेडरेशन ने एक बयान में कहा कि हम ब्रिटेन के परिप्रेक्ष्य में फैसले से कम चिंतित हैं। ब्रिटेन में, हम खुले विचारों वाले हैं और फर्क को स्वीकार करते हैं, उसे पसंद करते हैं.. हमारी मुख्य चिंता यूरोप की मुख्यभूमि को लेकर है। फेडरेशन का कहना है कि इस फैसले से यूरोप के अन्य देशों में रहने वाले करीब तीन लाख सिख प्रभावित होंगे, जो पगड़ी या साफा पहनते हैं।
बयान में कहा गया है कि यूरोप की मुख्य भूमि में, इटली, स्पेन, पुर्तगाल और जर्मनी में संभवत: ढाई से तीन लाख सिख रहते हैं। ये पहले से ही बहुत भेदभाव झेल रहे हैं, खास तौर पर रोजगार के मामले में। उसमें कहा गया है, कि सामान्य तौर पर लोग समझते हैं कि सिखों के धर्म से जुड़े चिह्नों में सिर्फ पगड़ी का मामला ही चुनौती है, जिसे पुरूष और महिलाएं दोनों पहनते हैं। लेकिन हमारे यहां कड़े का मुद्दा भी है।
सिखों के कृपाण का भी एक मामला है, लेकिन ब्रिटेन में कानून है जो मानता है कि कृपाण जंगी हथियार नहीं है, और सामान्य तौर पर कार्यालयों में उसे पहनने की अनुमति है। यूरोपीय अदालत ने कल अपने फैसले में कहा कि सिर ढंकने वाले वस्त्र पर प्रतिबंध ‘प्रत्यक्ष भेदभाव’ नहीं है, यदि वह सभी पर लागू होने वाली कंपनियों के आंतरिक फैसले पर आधारित है और इसमें सभी कर्मचारियों को समान कपड़े पहनने की जरूरत हो।
बेल्जियम और फ्रांस में एक-एक कर्मचारी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने यह बात कही। दोनों कर्मचारियों ने हेडस्कार्फ उतारने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद कंपानियों ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया था। (भाषा)