बीजिंग। चीन के सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को कहा कि चीन ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के विशेषज्ञों को नजरअंदाज करने की गलती की है। चीनी मीडिया का कहना है कि चीन को अपनी नवोन्मेषी योग्यता को बरकरार रखने के लिए भारत के हाई-टेक हुनर को आकर्षित करना चाहिए था।
सरकारी अखबार ग्लोबल टाईम्स ने एक लेख में कहा कि चीन ने भारतीय हुनर को नजरअंदाज करने और अमेरिका एवं यूरोप से आने वाले हुनर को ज्यादा अहमियत देने की गलती की है। सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चीन के एक समूह द्वारा संचालित इस अखबार ने कहा कि चीन ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के हुनरमंद लोगों को यहां काम करने के लिए आकर्षित करने की दिशा में शायद ज्यादा मेहनत नहीं की है।
यह अखबार हाल के कुछ महीनों में लगभग नियमित आधार पर भारत की आलोचना वाले लेख छापता रहा है। हालांकि उसका यह दुर्लभ लेख सकारात्मक रूख रखने वाला है।
इसमें कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में चीन ने तकनीकी नौकरियों में अभूतपूर्व उछाल देखा है क्योंकि देश विदेशी अनुसंधान एवं विकास केंद्रों के लिए एक आकर्षक स्थान बन गया है। लेख में कहा गया, 'हालांकि अब कुछ हाई-टेक कंपनियां अपना ध्यान चीन से हटाकर भारत की ओर लगा रही हैं। इसके पीछे की वजह भारत में श्रमबल की लागत तुलनात्मक रूप से कम होना है। अपनी नवोन्मेषी योग्यता को बरकरार रखने के लिए भारत से हाई-टेक हुनरमंद लोगों को आकषिर्त करना चीन के समक्ष मौजूद विकल्पों में से एक हो सकता है।'
अमेरिका की सॉफ्टवेयर कंपनी सीए टेक्नोलॉजीज द्वारा चीन में लगभग 300 कर्मियों वाले अनुसंधान एवं विकास दल को भंग कर देने और भारत में लगभग 2,000 वैज्ञानिक एवं तकनीकी पेशेवरों के साथ एक दल का गठन करने से जुड़ी खबरों का हवाला देते हुए अखबार ने कहा कि पर्याप्त युवा हुनरमंद लोगों की मौजूदगी के कारण भारत बेहद आकर्षक स्थल बनता जा जा रहा है।
इसमें कहा गया, 'चीन हाई-टेक निवेशकों के लिए अपना आकषर्ण कम होने का जोखिम नहीं ले सकता। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में चीन तीसरे स्थान पर है और वह अमेरिका की बराबरी करने की कोशिश कर रहा है। इसके प्रयासों के नतीजे ही तय करेंगे कि चीन उभरती वैश्विक आर्थिक शक्ति के तौर पर अपने दर्जे को बनाए रख पाएगा या नहीं।'
चीन ने इस साल स्टार्टअप और अनुसंधान कंपनियों के लिए अरबों डॉलर आवंटित करके तकनीकी नवोन्मेष का बजट बढ़ा दिया है। उसने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि चीन में तेजी से बढ़ती बूढ़े लोगों की संख्या के कारण श्रम बल में कमी आई है। (भाषा)