बीजिंग। चीन ने विवादित पूर्वी तथा दक्षिणी चीन सागर में पानी के भीतर निगरानी नेटवर्क के निर्माण की योजना को मंजूरी देकर एक और उकसावे वाला कदम उठाया है जिससे बीजिंग के पड़ोसियों में नाराजगी बढ़ेगी।
नेटवर्क के निर्माण पर चीन दो अरब युआन निवेश करेगा। यह समुद्र तल से सतह तक सभी मौसम में और रियल टाइम में बहुआयामी निगरानी करने में सक्षम होगा। सरकारी ग्लोबल टाइम्स ने आधिकारिक चीन सेंट्रल टेलीविजन की रिपोर्ट के हवाले से यह खबर दी।
चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा जताता है। इसके अलावा वह जापान के नियंत्रण वाले सेनकाकू द्वीप पर भी अपने प्रभुत्व का दावा करता है। इस पर वियतनाम, मलेशिया, फिलिपीन, ब्रुनेई और ताईवान भी अपने दावे जताते हैं।
चीन दोनों सागरों में क्षेत्रीय विवादों में उलझा हुआ है। बीजिंग लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा जताता है जिस पर पांच अन्य देश भी दावा जताते हैं। चीन ने यहां कई द्वीप और चट्टानें बनाए हैं जहां सैन्य तैनातियां भी की हैं। दोनों क्षेत्रों में खनिज, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधना प्रचुरता में हैं।
सीसीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक पानी के भीतर स्थित निगरानी नेटवर्क वैज्ञानिक शोध प्लेटफॉर्म के तौर पर काम करेगा और दो सागरों के भीतर समुद्री मौसम पर शोध के लिए दीर्घकालिक डेटा लगातार उपलब्ध करवाएगा।
बीजिंग के नौसेना विशेषज्ञ ली जेई ने कहा, 'यह योजनाबद्ध भौतिक प्लेटफॉर्म पानी के भीतर की जटिल दुनिया को समझने में हमारी मदद करेगा और महासागर के भीतर संसाधनों के इस्तेमाल तथा अन्वेषण के लिए भौतिक परिस्थितियों तथा तकनीकी आधार की जानकारी भी देगा।'
ली ने कहा, 'हालांकि कुछ अन्य देश पानी के भीतर की प्रणाली को सेना से जोड़ेंगे और सैन्य इस्तेमाल का विस्तार करेंगे। सेना का इस्तेमाल प्रणाली के योजनाबद्ध इस्तेमाल का महज एक हिस्सा है। लेकिन असैन्य इस्तेमाल व्यापक होंगे।'
उन्होंने कहा कि अगर विदेशी पनडुब्बियां या पानी के भीतर के चलने वाले मानवरहित वाहन चीन के जलक्षेत्र में प्रवेश करेंगे तो चीन अपने जलक्षेत्र की रक्षा के लिए उन वाहनों को पहचानने और भगाने के लिए पानी के भीतर के नेटवर्क का इस्तेमाल करेगा। यह परियोजना पांच वर्षों के भीतर पूरी होगी। (भाषा)