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चीन की जेलों में मानव अंगों के ट्रांसप्लांट की खौफनाक दास्तान...

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चीन में सलाखों के पीछे बंद कैदियों के मानव अंगों का जो कथित रूप से व्यापार हो रहा है, उससे पूरी दुनिया ही नहीं बल्कि मानव जाति भी सन्न है। कैदियों की जबरिया हत्या और उनके शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को बेचे जाने की दास्तां रोंगटे खड़े कर देती है।


पंथ विशेष के लोगों को खासतौर पर निशाना : दुनिया के किसी देश में ऐसा घिनौना काम नहीं हो रहा है, जैसा कि चीन में जेल की दीवारों के पीछे चल रहा है। विश्व शक्ति बनने को आतुर चीन अपने देश के अमीरों को मानव अंग की पूर्ति करने के लिए नीच और जघन्य तरीके अपना रहा है। यही नहीं, सामाजिक अधिकारों का हनन करने वाला चीन एक पंथ विशेष के लोगों को खासतौर पर निशाना बनाता है।

जिन लोगों ने इसका खुलासा किया है, वो काफी सम्मानित हैं। चीन की जेलों में जो भी गोरखधंधा बेखौफ चल रहा है, उस पर पूरी दुनिया में कोई आवाज नहीं उठ रही है और न ही इसका पुरजोर विरोध हो रहा है, बल्कि इस धंधे का पर्दाफाश करने वाले चाहते हैं कि हमें इस क्रूर गतिविधि को रोकने के लिए एकजुट होकर चीन पर दबाव डालना होगा।
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कैसी क्रूर गतिविधियां चलती हैं जेल की ऊंची दीवारों के भीतर : जेल का नाम सुनते ही आम इंसान में खौफ पैदा हो जाता है और फिर जेल चीन की हो तो अंदाज लगाना मुश्किल है कि वहां पर कैदियों के साथ कैसा क्रूर व्यवहार होता होगा। चीनी की जेलों की दीवार के भीतर जो क्रूर गतिविधि चलती है, वह बेहद खौफनाक और तकलीफदेह है। कई बार तो जीते जागते इंसान के अंग निकाल लिए जाते हैं।

कीमती अंगों को जरूरतमंद अमीरों को बेचने का धंधा : जेल में आम कैदियों, सजायाफ्ता कैदियों और अध्यात्म से जुड़े कैदियों को मारा जाता है और फिर उनके शरीर के कीमती अंगों को जरूरतमंद अमीरों को बेच दिया जाता है। इस घिनौने काम में चीन की राज्य सरकारें भी शामिल हैं। नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित अन्वेषक पत्रकार एथन गटमैन ने जो खुलासे किए हैं, वे बेहद सनसनीखेज और चौंकाने वाले हैं।
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गटमैन के मुताबिक, चीन की जेलों में मानव अंगों के व्यापार के लिए शांतिपूर्ण बुद्ध सिद्धांतों पर अभ्यास करने वाले फालुन गोंग के अभ्यासियों का भी चयन किया जाता है। इन सभी को एक शिविर में रखा जाता है और प्रत्येक कैदी के महत्वपूर्ण आंकड़े लिख लिए जाते हैं।

मसलन वो किस ब्लड ग्रुप का है। जब भी किसी संपन्‍न व्यक्ति को अस्पताल में सर्जरी के लिए हार्ट, किडनी, लीवर या किसी अन्य अंगों की जरूरत पड़ती है, वैसे ही जेल के भीतर तक खबर पहुंचा दी जाती है। जो भी कैदी मरीज के ब्लड ग्रुप का होता है, उसे जेल के भीतर ही मारकर आवश्यकता अनुसार अंगों का प्रत्यारोपण कर दिया जाता है। इस पूरे मामले में बाकायदा बुकिंग होती है और बुकिंग के आधार पर ही कैदियों की हत्या की जाती है।
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अज्ञात और अनाम कैदियों की बलि : अंग प्रत्यारोपण के मामले में उन कैदियों की बलि ज्यादा चढ़ती है जो अज्ञात और अनाम हैं। चूंकि जेल के भीतर इन कैदियों का कोई रिकॉर्ड नहीं होता लिहाजा उन्हें मारने में आसानी होती है। सिडनी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर पॉल मैकनील मानते हैं कि यह जर्मनी में नाजी शिविरों में यहूदी कैदियों और अन्य कैदियों के साथ होने वाले क्रूर व्यवहार की याद ताजा करता है।
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मैकनील के मुताबिक, फालुन गोंग का दमन जुलाई 1999 से शुरु हुआ था और 2000 में चीन में अंग प्रत्यारोपण की संख्या दोगुनी से तिगुनी हो गई। कई फालुन गोंग अभ्यासी तो अपने परिवार की सुरक्षा की खातिर अपनी पहचान तक छुपा जाते हैं और यही कारण रहता है कि ऐसे अच्छे स्वास्‍थ्‍य वाले अभ्यासियों की जान लेकर आसानी से अंग प्रत्यारोपण किया जा सकता है। 

दरअसल, फालुन गोंग अभ्यासी का चयन मानव अंग प्रत्यारोपण के लिए इसलिए अधिक किया जाता है, क्योंकि वे औरों की तुलना में अधिक स्वस्थ और आध्यात्मिक होते हैं। वे शराब और धूम्रपान से दूर रहते हैं। रोजाना व्यायाम करने की वजह से दूसरे कैदियों की तुलना में उनका शरीर रोगमुक्त रहता है।
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चीन नहीं मानता WHO के कायदे-कानून : यूं देखा जाए तो चीन में कैदियों के अंगों को अन्य रोगियों में ट्रांसप्लांट करने की इजाजत नहीं है लेकिन इसके बाद भी गुपचुप और योजनाबद्ध तरीके से ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। यहां तक कि चीन विश्व स्वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) के कोई नियम-कायदे नहीं मानता। उसे जो करना है, वो करके ही दम लेता है।

पूर्व उप स्वास्थ्य मंत्री ने ट्रांसप्लांट को स्वीकारा : वेटिकन में आयोजित मानवाधिकार कार्यकर्ता और मेडिकल एथिक्स विशेषज्ञों के एक सम्मेलन में शामिल होने का आमंत्रण पूर्व उप स्वास्थ्य मंत्री हुआंग जे को भी दिया गया था। इस सम्मेलन में उन्होंने यह कहकर सबको चौंका दिया था कि चीन में अभी भी ऑर्गन ट्रांसप्लांट के कुछ मामलों में मारे और फांसी चढ़ाए गए कैदियों के अंग लगाए जा रहे हैं।

हुआंग ने 'बम' तो फोड़ दिया लेकिन जब इसकी गूंज चीन तक पहुंची तो विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए। इसके बाद हुआंग अपनी बात से पलट गए। रोम में जब एक पत्रकार सम्मेलन में ट्रांसप्लांट पर किए गए सवाल पर हुआंग ने कहा था कि इसे लेकर चीन में सख्त मनाही है लेकिन चीन एक बड़ा देश है और इसकी आबादी भी काफी ज्यादा है। ऐसे में मैं पुख्ता तौर पर कह सकता हूं कि कई मामलों में इस कानून का उल्लंघन भी किया जाता है। हुआंग के इस बयान का सीधा मतलब है कि चीन में अब भी मारे जा चुके कैदियों के अंगों को ऑर्गन ट्रांसप्लांट के काम में लाया जाता है।

मरने वालों कैदियों का आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया जाता : ऐमनिस्टी इंटरनेशनल के पूर्वी एशिया के निदेशक निकोलस बी ने कहा कि चीन में होने वाले ज्यादातर ऑर्गन ट्रांसप्लांट्स में मारे गए और फांसी पर चढ़ाए गए कैदियों के अंगों का इस्तेमाल होता है। चीन में हर साल कितने कैदी मारे जाते हैं, यह आंकड़ा कभी सार्वजनिक नहीं किया जाता। निकोलस का अनुमान है कि यह संख्या 3000 से 7000 तक हो सकती है।

उन्होंने कहा कि हुआंग का यह दावा कि चीन ने अब ऐसा करने पर रोक लगा दी है, संदेहास्पद है। निकोलस ने कहा कि उन्होंने न तो ऐसा करना बंद किया है और न ही वे इसे बंद करेंगे। उनके यहां ट्रांसप्लांट्स के लिए मानव अंगों की जितनी मांग है, वह सप्लाय के मुकाबले बहुत ज्यादा है।

जेल की दीवारों के भीतर दम तोड़ती तड़प और सिसकियां : बहरहाल, चीन की जेलों में बंद कैदियों के साथ जो खौफनाक व्यवहार हो रहा है, उसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। चूंकि यहां सेना से लेकर प्रेस तक सब सरकार के अधीन है, लिहाजा कैदियों की तड़प, सिसकियां जेल की दीवारों के भीतर ही दम तोड़ देती हैं।

दम निकलने के बाद उसके शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को कहां पहुंचाया जाता है, यह राज ही रहता है। और फिर बीमार अमीर मरीजों को इससे क्या फर्क पड़ता है कि उनके शरीर में किस कैदी का दिल धड़क रहा है, किस कैदी की किडनी काम कर रही है और किसका लीवर लगाया गया है...

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