वेटिकन। पोप फ्रांसिस ने कैथोलिक ईसाई समुदाय में संत बनने के लिए सदियों पुरानी परंपरा में बदलाव की घोषणा की है। अब ऐसे व्यक्तियों को भी संत की उपाधि प्रदान की जा सकेगी, जिन्होंने दीन-दुखियों की सेवा में अपना जीवन न्योछावर कर दिया। इस संबंध पोप की ओर से मंगलवार को आधिकारिक पत्र भी जारी हुआ है।
उल्लेखनीय है कि अभी संत बनने के लिए सेवा के साथ दो चमत्कार भी साबित करने होते थे, जिन्हें मान्यता मिलने के बाद ही संत की उपाधि मिलती थी। भारतरत्न मदर टेरेसा को संत की उपाधि प्रदान करने से पहले उनके दो चमत्कारों को मान्यता दी गई थी। तब पश्चिम बंगाल की मोनिका बेसरा ने दावा किया था कि मदर टेरेसा के फोटो की पूजा करने से उनका लाइलाज कैंसर ठीक हो गया था। इस चमत्कार को वेटिकन ने भी मान्यता दी थी। हालांकि डॉक्टरों ने इसे सिरे से नकार दिया था।
पोप की ताजा घोषणा के अनुसार अब संत बनने के लिए दो चमत्कार साबित करने की जरूरत नहीं होगी। अब ऐसे व्यक्तियों को भी संत की उपाधि प्रदान की जा सकेगी जिन्होंने ईसा मसीह के मार्ग पर चलते हुए दीन-दुखियों की सेवा में अपना जीवन कुर्बान कर दिया हो।
इस घोषणा से पहले संत की उपाधि देने के लिए तीन श्रेणियां थीं। ईसाई समाज में सदियों पर पुरानी इस परंपरा में बदलाव को काफी अहम माना जा रहा है। संत बनने के लिए इस नई प्रक्रिया के लिए 5 मानदंड भी बनाए गए हैं। इस तरह के व्यक्ति को ईसाई धर्म के अनुरूप स्वैच्छिक रूप से अपना जीवन समर्पित करना होगा। इस श्रेणी में अब उसे चमत्कार साबित की जरूरत नहीं होगी।