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कोरोना ने छोड़े हैं लोगों पर बड़े दुष्प्रभाव, कोई सो नहीं पा रहा तो कोई महसूस कर रहा है अकेलापन

हमें फॉलो करें कोरोना ने छोड़े हैं लोगों पर बड़े दुष्प्रभाव, कोई सो नहीं पा रहा तो कोई महसूस कर रहा है अकेलापन
, गुरुवार, 31 मार्च 2022 (19:58 IST)
लंदन। ब्रिटेन में महामारी के कारण लगाए गए पहले लॉकडाउन के 2 साल बाद, किंग्स कॉलेज लंदन और इप्सोस एमओआरआई द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि कोविड और इसे नियंत्रित करने के उपाय कितने हानिकारक हैं।
 
सिर्फ 1,200 से अधिक लोगों के प्रतिनिधि नमूने में, एक तिहाई लोगों का कहना है कि वे अकेले हो गए हैं और महामारी से पहले की तुलना में कम सो रहे हैं। लगभग आधे दोस्तों से कम मिल रहे हैं और उन्होंने घर से निकलना भी कम कर दिया है और स्क्रीन पर अधिक समय बिता रहे हैं। तो ऐसे में इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि एक तिहाई लोगों को लगता है कि उनका मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य खराब है।
 
और, महामारी ने इतना सब कुछ बदल दिया है कि कुछ समूह इसके प्रभाव को और अधिक शिद्दत से महसूस कर रहे हैं, युवा और महिलाओं को इनमें से कई नकारात्मक प्रभावों का अनुभव होने की अधिक संभावना है। उदाहरण के लिए 16-34 साल की 42% और 38% महिलाओं का कहना है कि उनका मानसिक स्वास्थ्य महामारी से पहले की तुलना में खराब है।
 
बेशक, ये सभी चिंताजनक प्रभाव महामारी और लॉकडाउन के कारण नहीं होंगे। जीवन जीने की कीमत अब परेशान करने लगी है, और यूरोप में एक युद्ध निस्संदेह हमारी समस्याओं को बढ़ा रहा है।
 
हमें यह भी ध्यान में रखना होगा कि लोग हमेशा सोचते हैं कि चीजें खराब होने की ओर जा रही हैं। हम सामाजिक मनोवैज्ञानिकों को हमेशा अच्छा अच्छा देखने वाला कहते हैं, जहां हम अतीत की बुरी बातों को भूल जाते हैं। यह हमें उन चीजों के असर से दूर रहने में एक उपयोगी मनोवैज्ञानिक उपाय हो सकता है जिन्हें हम बदल नहीं सकते हैं, लेकिन यह वर्तमान को जैसा है उससे भी बदतर महसूस करा सकता है।
 
हालांकि, कई वास्तव में पीड़ित हैं, और महामारी ने निस्संदेह हमारे व्यक्तिगत संबंधों और संस्थानों में विश्वास दोनों को हिलाकर रख देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिन पर हम गहराई से भरोसा करते हैं।
 
सरकार की प्रतिक्रिया का समर्थन : इन सबके बावजूद, हमारे सभी अध्ययनों में एक स्पष्ट पैटर्न दिखाई देता है कि जनता का बड़ा हिस्सा सरकार द्वारा किए गए प्रतिबंधात्मक उपायों की तुलना में अधिक प्रतिबंधात्मक उपायों का समर्थन करता है। सरकार को 2020 के अंत में जनता द्वारा सबसे कम दर्जा दिया गया था, जब यह महसूस किया गया था कि चीजें बहुत तेज़ी से खोली जा रही हैं। अब, संकट से निपटने के लिए यूके सरकार की रेटिंग सबसे सकारात्मक है जो हमने महामारी की शुरुआत के बाद से देखी है।
हालांकि अब प्रतिबंधों को काफी हद तक हटा लिया गया है, लेकिन हममें से अधिकांश को नहीं लगता कि महामारी पूरी तरह से खत्म हो गई है। पांच में से केवल एक ही उस दृष्टिकोण का समर्थन करता है, जबकि, दूसरे छोर पर, एक चौथाई लोगों को लगता है कि जीवन कभी भी ‘सामान्य’ नहीं होगा या कहें कि हमें पता नहीं है कि यह कब होगा।
 
बाकी सब कुछ जो अब हमें चिंता में डाल रहा है, महामारी अभी भी हम में से कई लोगों को गहराई से प्रभावित कर रही है। अध्ययन के सबसे आश्चर्यजनक परिणामों में से एक से यह स्पष्ट है कि लोग कितनी बार कोविड-19 की जानकारी के लिए सोशल मीडिया को छान रहे हैं। अप्रैल 2020 में, एक तिहाई लोग दिन में कई बार ऐसा कर रहे थे, जो शायद समझ में आता था, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि हालात आज भी कुछ खास अलग नहीं हैं।
 
महामारी का सामाजिक प्रभाव यह दर्शाता है कि व्यक्तियों पर वायरस का प्रभाव कितना परिवर्तनशील है, कुछ अपेक्षाकृत हल्की बीमारी के शिकार रहे और अन्य वास्तव में पीड़ित हैं। हम में से कई लोगों के लिए, पूर्ण प्रभाव अभी भी खुद को प्रकट कर रहे हैं, और इसका मतलब है कि पूरे समाज के लिए, हम केवल एक लंबे सफर के शुरूआती कदम पर हैं। (भाषा)
 

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