King Charles III Coronation : किंग चार्ल्स III का शनिवार शाम ब्रिटेन के महाराजा के रूप में राज्याभिषेक किया गया। 70 साल बाद ब्रिटेन में राज्याभिषेक हुआ। कैंटरबरी के आर्चबिशप जस्टिन वेल्बी ने किंग चार्ल्स तृतीय को राजमुकुट पहनाया, जो इंग्लैंड के महाराज की शक्ति का प्रतीक है। करीब 6 महीने पहले क्वीन एलिजाबेथ का निधन होने के बाद उनके बड़े बेटे चार्ल्स को राजा घोषित कर दिया गया था, लेकिन उनकी ताजपोशी अब हुई है।
सबसे बुजुर्ग सम्राट : इस तरह 74 वर्ष किंग चार्ल्स ब्रिटेन के सिंहासन पर बैठने वाले सबसे बुजुर्ग ब्रिटिश सम्राट बन गए। इस अवसर पर वेस्टमिंस्टर एबे में संगीतमय माहौल के बीच दुनिया के कोने-कोने से कई मेहमान भी पहुंचे।
एबे के बाहर कतारबद्ध खड़े सेना के जवानों शाही परिवार के सदस्यों और विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत किया। राज्याभिषेक के दौरान हिन्दू, सिख, मुस्लिम, बौद्ध और यहूदी समुदायों के धार्मिक नेता एवं प्रतिनिधि भी एबे मौजूद रहे।
70 साल बाद ताजपोशी : ब्रिटिश शाही परिवार में 70 साल बाद ताजपोशी हुई है। इससे पहले 1953 में किंग चार्ल्स की मां यानी महारानी एलिजाबेथ की ताजपोशी हुई थी। तब चार्ल्स केवल 4 साल के थे। अब किंग चार्ल्स 74 साल के हो चुके हैं।
उपराष्ट्रपति हुए शामिल : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ ने यहां शनिवार को वेस्टमिंस्टर एबे में ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स तृतीय के ऐतिहासिक राज्याभिषेक समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व किया। शुक्रवार को यहां पहुंचे धनखड़ विश्व भर से आये करीब 100 राष्ट्राध्यक्षों के साथ समारोह में शामिल हुए।
राज्याभिषेक की रस्म कैंटरबरी के आर्चबिशप जस्टिन वेल्बी द्वारा हिंदू, सिख, मुस्लिम, बौद्ध और यहूदी समुदायों के प्रतिनिधियों द्वारा की गई। धनखड़ और उनकी पत्नी समारोह में राष्ट्रमंडल देशों के अन्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ बैठे।
समारोह में शामिल होने के लिए शुक्रवार को यहां पहुंचने के शीघ्र बाद धनखड़ ने एक स्वागत कार्यक्रम में महाराजा चार्ल्स तृतीय से मुलाकात की थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक ट्वीट में कहा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मार्लबोरो हाउस, लंदन में महाराजा चार्ल्स तृतीय की मेजबानी में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में अन्य राष्ट्रमंडल देशों के नेताओं के साथ शामिल हुए। राष्ट्रमंडल को मजबूत तथा लक्ष्य केंद्रित बनाने के लिए राष्ट्रमंडल नेताओं के साथ बातचीत की।
ब्रिटिश-भारतीय रसोइया मंजू माल्ही उन 450 ब्रिटिश एम्पायर मेडल विजेताओं में शामिल थीं, जिन्हें समारोह में आमंत्रित किया गया था। Edited By : Sudhir Sharma