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इन देशों के पास सेना ही नहीं है...

हमें फॉलो करें इन देशों के पास सेना ही नहीं है...
आज की दुनिया में किसी देश की ताकत का अंदाजा उसकी सैन्य ताकत से लगाया जाता है। इस लिहाज जिस देश की सेना जितनी बड़ी, अत्याधुनिक और संख्याबल में बड़ी होती है, उसे दुनिया में उतना ही ताकतवर माना जाता है। देश की सैन्य ताकत से देश के लोगों में सुरक्षा की भावना पैदा होती है और देश की सुरक्षा के ‍लिए अपने प्राण गंवाना त्याग का सर्वोच्च उदाहरण माना जाता है। 
 
प्राचीन धर्म ग्रंथों तक में लिखा गया है कि 'जननी, जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी' अर्थात माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी बढ़कर है, लेकिन दुनिया में ऐसे भी देश हैं जिनकी अपनी कोई सेना नहीं है या फिर जिन्होंने अपनी सुरक्षा ‍की जिम्मेदारी किसी ऐसे देश को सौंप दी है जो कि कुछ सुविधाएं, आर्थिक लाभ के लिए यह काम करता है।    
 
इस तरह दुनिया में ऐसे भी कई देश हैं जिनकी अपनी कोई सेना नहीं है वरन उनकी पुलिस ही इस तरह का काम संभालती है। यह बात गौर करने लायक है कि ऐसे देशों की सबसे ज्यादा संख्या यूरोप में है। कुछ देशों का सुरक्षा आउटसोर्स करने से काम चल जाता है तो किसी को सुरक्षा की जरूरत ही नहीं है। स्विट्जरलैंड में इस बात को लेकर बहस चल रही है कि उसे सेना की जरूरत है या नहीं?  
 
तुवालु एक ऐसा देश है जहां आपको सुरक्षाबल ही मिलेंगे ही नहीं। क्षेत्रफल के हिसाब से यह काफी छोटे देश हैं। वर्ष 2014 में बने भारत प्रशांत द्वीप सहयोग संगठन में समोआ और तुवालू भी शामिल हैं। वर्ष 2015 में जयपुर में संगठन के 14 सदस्य देशों का सम्मेलन हुआ। तुवालू का क्षेत्रफल सिर्फ 26 वर्ग किलोमीटर है और वहां की आबादी 10,000 है। यह राष्ट्रकुल का सदस्य है और यहां संसदीय राजतंत्र है।
 
ऐसे ही देशों में एक है यूरोपीय देश अंडोरा, जिसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्पेन और फ्रांस के हाथों में है। इसके अलावा मध्य अमेरिका का एक देश कोस्टारिका के पास भी अपनी कोई सेना नहीं है। तो वहीं समोआ के पास भी खुद की सेना नहीं है, लेकिन इसकी ममद के लिए न्यूजीलैंड ने जिम्मेदारी ले रखी है। इसके साथ ही इन समूह में दो द्वीपीय देश ग्रेनेड और नोरू के नाम शामिल है।  
 
चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा एंडोरा यूरोप का छठा सबसे छोटा देश है, जिसकी अपनी कोई पर्सनल आर्मी नहीं है। यहां कानून व्यवस्था और कुछ जरूरी नियमोँ का पालन पुलिस की जिम्मेदारी होती है। आप सोच रहे होंगे कि किसी आतंकवादी हमले या युद्ध की स्थिति में यह देश अपनी सुरक्षा कैसे करता है? ऐसे हालतों में इसके पड़ोसी देश स्पेन और फ्रांस इसको आपातकाल में सैन्य सुरक्षा प्रदान करते हैं।
 
1948 में छिड़े एक गृहयुद्ध के बाद कोस्टारिका ने हमेशा के लिए आर्मी को अपने देश की सीमाओं के बाहर कर दिया। यहां के आंतरिक मामलों का दारोमदार यहां की पुलिस के कंधों पर है। बॉर्डर पर स्थित निकारगुआ देश से मतभेद होने के बावजूद यह बिना किसी सैन्य संरक्षण के निर्वाह कर रहा है।
 
डॉमिनिका : 1981 में आर्मी की कुछ विषम गतिविधियों के कारण इस देश ने हमेशा के लिए सेना का परित्याग कर उसको अपनी जमीन से दूर कर दिया और इसके जैसे अन्य देशों की तरह यहां की पुलिस ही देश की व्यवस्था को संचालित करती है।
 
ग्रेनाडा : अमेरिका के यकायक हमले के कारण यहां की सरकार ने 1983 में कठोर कदम उठाते हुए हमेशा के लिए सेना को अपने क्षेत्र से दूर कर दिया और रीजनल सिक्योरिटी सिस्टम को यहां की सुरक्षा हेतु संगठित किया हुआ है।
 
आइसलैंड : आपको अचम्भा होगा जानकर कि इस देश में 1869 से कोई आर्मी नहीं है। आइसलैंड नाटो संगठन का एक सदस्य है, जिसने यूनाइटेड स्टेट के साथ अपनी सुरक्षा का एग्रीमेंट किया हुआ है।
 
मॉरिशस : दुनियां के जाने माने देश मॉरिशस की जनता भी आर्मी के बिना जीवन निर्वाह करती है। लगभग 10,000 पुलिस कर्मचारियों से बनी पर्सनल फोर्स यहां की सुरक्षा और कानून व्यवस्था की देखरेख करती है।
 
मोनेको : इस देश ने 17वीं शताब्दी में आर्मी पावर का परित्याग कर दिया था, लेकिन दो छोटी मिलिट्री यूनिट यहां हमेशा सक्रिय रहती हैं। जिसमें से एक यहां के प्रिंस की सुरक्षा तो दूसरी आम नागरिकों  की सुरक्षा हेतु कार्यरत है। मोनॅको की सुरक्षा का पूर्ण दायित्व इसके पड़ोसी देश फ्रांस पर है।
 
लैच्टेंस्टीन : इस देश से आर्मी को हटाने का कारण आर्थिक था। यह देश सेना के ख़र्चो को उठाने में सक्षम नहीं था, जिसकी वजह से यहां से आर्मी हटा दी गई, लेकिन युद्ध की स्थिति पैदा होने पर यहां सेना का संगठन इस देश की नीति में शामिल है।
 
हैती : आए दिन सेना द्वारा अकस्मात हमले इस देश में एक सामान्य बात थी जिसके कारण यहां की सरकार ने और देशों की तरह अपने देश से आर्मी का निष्कासन कर दिया और 1995 से यह देश बिना सैनिक बल के हर परिस्थिति का सामना करता है। हालांकि दुनिया में ऐसे देशों की संख्या करीब 22 है लेकिन अधिकतर ने अपनी सुरक्षा का जिम्मा ऐसे देशों को दे रखा है जोकि पहले इन देशों पर शासन करते थे। दूसरी ओर विश्व युद्ध की भयानकता से प्रभावित होकर जापान जैसे देश ने भी सेना रखना बंद कर दिया।

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