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अमेरिका से रक्षा समझौतों पर क्या बोले रक्षामंत्री पर्रिकर...

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वाशिंगटन , मंगलवार, 30 अगस्त 2016 (11:07 IST)
वाशिंगटन। अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण साजो-सामान समझौता करने के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने संकेत दिए हैं कि भारत को दो अन्य बुनियादी समझौते करने की कोई जल्दी नहीं है। गौरतलब है कि अमेरिका बीते कई साल से इन समझौतों पर जोर दे रहा है।
 
पर्रिकर ने अमेरिकी रक्षामंत्री एश्टन कार्टर के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस साजो-सामान समझौते को करने में हमें 12-13 साल का वक्त लगा है। लेकिन साजो-सामान समझौते का सैन्य अड्डे बनाने से घालमेल किया जा रहा है। पहले मुझे इस समझौते को जनता के बीच ले जाने दीजिए और उसे इसके बारे में विस्तार से समझाने दीजिए। उसके बाद हम दूसरे पहलुओं पर विचार करेंगे।
 
यहां पर्रिकर दो बुनियादी समझौतों के भविष्य के बारे में सवाल का जवाब दे रहे थे। ये दो बुनियादी समझौते हैं..कम्युनिकेशन्स एंड इन्फॉर्मेशन सिक्युरिटी मेमोरंडम ऑफ एग्रीमेंट और बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियोस्पेटियल इंटेलिजेंस।
 
भारत के साथ रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए अमेरिका एक दशक से भी ज्यादा समय से चार बुनियादी समझौतों पर जोर दे रहा है। ये दो बुनियादी समझौते उन्हीं का हिस्सा हैं।
 
इन चार समझौतों में से जनरल सिक्युरिटी ऑफ मिलिटरी इन्फॉर्मेशन एग्रीमेंट (जीएसओएमआईए) साल 2002 में हुआ था जबकि लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) पर हस्ताक्षर हुए हैं।
 
पर्रिकर ने कहा ग्स मैं और रक्षामंत्री कार्टर इस बात पर सहमत हैं कि आतंकवाद से निपटना एक महत्वपूर्ण साझा लक्ष्य है। भारत और अमेरिका के बीच की साझेदारी हमारे साझा मूल्यों और हितों पर आधारित है। इसे इस साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिकी कांग्रेस के उत्साह ने रेखांकित कर दिया था।
 
एक सवाल के जवाब में कार्टर ने संभवत: पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर आतंकी हमले के संदर्भ में कहा कि न सिर्फ भारतीय नागरिक, बल्कि भारतीय सेना भी आतंकवाद से पीड़ित रही है।
 
कार्टर ने कहा कि आतंकवाद से लड़ाई उन अभियानों में से एक है, जिन पर हम सहयोग करते हैं। हम किसी भी अन्य को या हमें प्रभावित करने वाले आतंकवाद का विरोध करते हैं। निश्चित तौर पर यह भारतीय लोगों के खिलाफ रचे गए आतंकी कृत्यों के बारे में भी सच है। यहां मुझे भारतीय सेना के खिलाफ रची गई आतंकी साजिशों का भी जिक्र करना चाहिए। (भाषा)  

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