Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

डेनमार्क, आइसलैंड के साथ भारत ने किए पांच करार

हमें फॉलो करें डेनमार्क, आइसलैंड के साथ भारत ने किए पांच करार
, मंगलवार, 17 अप्रैल 2018 (23:42 IST)
स्टॉकहोम। भारत ने डेनमार्क एवं आइसलैंड के साथ आपसी सहयोग के पांच करारों पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वीडन की यात्रा के दौरान भारत नॉर्डिक शिखर बैठक के पहले डेनमार्क के प्रधानमंत्री लार्स लोक्के रास्मुसेन, फिनलैंड के प्रधानमंत्री जुहा सिपिला, आइसलैंड की प्रधानमंत्री कार्टिन जैकोब्स्डोटिर और नॉर्वे की प्रधानमंत्री एरना सोल्बर्ग से अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें कीं और आपसी सहयोग बढ़ाने के बारे में चर्चा की तथा इसके साथ बहुपक्षीय सहयोग के मुद्दों के अलावा ज्वलंत अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत की।

भारत एवं डेनमार्क के बीच सतत एवं स्मार्ट शहरी विकास, पशुपालन एवं डेयरी, खाद्य संरक्षा तथा कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान और आइसलैंड के साथ आइसलैंड विश्वविद्यालय में हिन्दी की शिक्षण पीठ की स्थापना को लेकर करारों पर हस्ताक्षर किए गए। बाद में भारत नॉर्डिक शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता मोदी और स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टेफ़ान लवैन ने संयुक्त रूप से की।

सम्मेलन की थीम 'साझा मूल्यों से परस्पर समृद्धि' थी। भारत के नॉर्डिक देशों के साथ पर्याप्त आर्थिक संबंध हैं। भारत-नॉर्डिक अर्थात् सभी पांच नॉर्डिक देशों के साथ, लगभग 5.3 अरब डॉलर का वार्षिक व्यापार है। भारत में नॉर्डिक देशों का निवेश 2.5 अरब डॉलर है।

नॉर्डिक क्षेत्र एक उच्च आय वाले समृद्ध समाज का प्रतिनिधित्व करता है और गुणवत्ता और नवीनता पर पर्याप्त ध्यान देता है। वे मानव विकास सूचकांक में उच्च रैंक पर हैं। तीन नॉर्डिक देश अर्थात डेनमार्क, स्वीडन और फिनलैंड यूरोपीय संघ के सदस्य हैं।

अन्य दो देश नॉर्वे और आइसलैंड, चार देश ब्लॉक, यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के सदस्य हैं जिन्हें ईएफटीए कहा जाता है। राजनयिक सूत्रों के अनुसार भारत के लिए नॉर्डिक देश स्वच्छ प्रौद्योगिकी, पर्यावरण समाधान, बंदरगाह आधुनिकीकरण, शीत श्रृंखला, कौशल विकास, नवीनता आदि के लिए संभावित स्रोत हैं।वे कई प्रमुख कार्यक्रमों के लिए हमारे आदर्श भागीदार हो सकते हैं।

स्वीडिश और फिनिश प्रधानमंत्री ने फरवरी 2016 में, मुंबई में मेक इन इंडिया सप्ताह में भाग लिया था। स्मार्ट सिटी के अलावा, स्वच्छ गंगा, स्वच्छ भारत, कौशल भारत जैसेअन्य प्रमुख कार्यक्रमों में नॉर्डिक देश महत्वपूर्ण रूप से योगदान कर सकते हैं।

सूत्रों के अनुसार दूसरी तरफ भारत में एक बड़ा बाजार और प्रतिभा और कौशल का एक विशाल भंडार है। भारत नॉर्डिक प्रौद्योगिकियों के लिए एक संभावित बाजार और नॉर्डिक आबादी के लिए माल और सेवाओं का एक सक्षम आपूर्तिकर्ता है। भारत और नॉर्डिक देशों की इन पूरक और अद्वितीय ताकतों ने दोनों तरफ के उद्यमियों को आकर्षित किया है। नॉर्डिक क्षेत्र में विशेषताओं और गतिशीलता में आसानी की समानता को देखते हुए यह भी महत्वपूर्ण है कि सभी नॉर्डिक देशों को एक क्षेत्र के रूप में और पांच अलग-अलग संस्थाओं के रूप में देखा जाना चाहिए। (वार्ता)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

'भगवा आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल कभी नहीं किया : दिग्विजय