संघीय अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के छह मुस्लिम बहुल देशों को निशाना बनाने वाले संशोधित यात्रा प्रतिबंध के खिलाफ आदेश जारी करते हुए कहा कि उनका यह यात्रा प्रतिबंध 'राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में अस्पष्ट शब्दों के साथ बात करता है लेकिन उनमें धार्मिक असहिष्णुता, वैर-भाव और भेदभाव का पुट रहता है।'
ट्रंप प्रशासन ने इस लड़ाई को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने का फैसला किया है। ट्रंप के हालिया सऊदी दौरे और वहां पर मुस्लिम देशों के प्रमुखों को प्रवचन सुनाने के बाद यह माना जा रहा था कि ट्रंप का मुसलमानों के प्रति नजरिया बदल गया है, लेकिन हकीकत इससे उलट है। आज भी ट्रंप सरकार का नजरिया जस का तस माना जा रहा है।
ट्रंप प्रशासन ने मुस्लिम देशों पर बैन लगाने के फेडरल कोर्ट के आदेश को अमेरिका की शीर्ष अदालत में चुनौती देने का मन बना लिया है। अटॉर्नी जनरल जेफ सेशन्स ने कहा है कि फेडरल कोर्ट के फैसले के खिलाफ यूएस सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी।
अमेरिका की फोर्थ सर्किट की अपीली अदालत में कल 10-3 के अंतर से हुए मतदान में कहा गया कि यह प्रतिबंध संभवत: संविधान का उल्लंघन करता है। अदालत ने एक निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा, जो रिपब्लिकन प्रशासन को ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के लोगों के वीजा बंद करने से रोकता है।
निश्चित तौर पर यदि कहा जाता है तो सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल देगा। जब भी कभी निचली अदालत किसी संघीय नियम या राष्ट्रपति के कदम पर रोक लगाती है, तो न्यायाधीशों का फैसला अंतिम होता है। (भाषा)