कोलोराडो। जब से वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के घूमने (Rotation) की गति को परमाणु घड़ियों (Atomic Clock) से मापना शुरू किया है, तब से हमारे ग्रह ने अपना सबसे छोटा दिन 26 जुलाई, 2022 को दर्ज किया है। हमने सुना था कि पृथ्वी अपनी धुरी का चक्कर पूरा करने में 24 घंटे लेती है, जिसे हम एक दिन के बराबर मानते हैं। लेकिन, अब ऐसा नहीं है। हम मानें या ना मानें, लेकिन हमने वास्तव में अपने दिन के लिए एक्स्ट्रा 1.59 मिलीसेकंड प्राप्त किया है।
कुछ साल पहले तक ये माना जाता था कि 1973 से शुरू हुई पृथ्वी के घूमने की गति की गणना के बाद से पृथ्वी धीरे घूम रही है। लेकिन इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन एंड रेफरेंस सिस्टम्स सर्विस (IERS) के अनुसार अभी इसकी रफ्तार सामान्य से थोड़ी तेज दर्ज की गई है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि चन्द्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी के घूमने की गति को बदल रहा है। इसका गुरुत्वाकर्षण खिंचाव (Gravitational Pull) सूर्य के चारों ओर स्थित पृथ्वी के कक्षीय पथ (Revolving Axis) को थोड़ा अण्डाकार (elliptical) बनाता जा रहा है।
वैज्ञानिकों ने इस बात पर ध्यान दिया कि 1960 के बाद 2020 में 28 सबसे छोटे दिन थे। 2021 में सबसे छोटा दिन 2020 की तुलना में लंबा था। लेकिन 29 जून, 2022 को, हमारे ग्रह ने अपना अब तक का सबसे तेज चक्कर लगाया, और 26 जुलाई, 2022 का दिन ऐसा था जब हमने स्पष्ट रूप से 1.50 मिलीसेकंड ज्यादा प्राप्त किया। पृथ्वी ने 19 जुलाई, 2020 को 24 घंटे से भी कम समय में 1.4602 मिलीसेकंड में अपनी धुरी का चक्कर लगाया और पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिया।
अब सवाल ये उठता है कि पृथ्वी की घूमने की गति स्पष्ट रूप से तेज क्यों होती जा रही है? दुनिया के शीर्ष अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इसपर अपने-अपने मत दिए हैं। उनके अनुसार:
- यह हिमनदों (Glaciers) के पिघलने का परिणाम है,
- हमारी पृथ्वी का पिघला हुआ केंद्रीय भाग (Core) इसकी गति को बढ़ा रहा है,
- भूकंपीय गतिविधियां एक अन्य संबंधित कारण हो सकती हैं,
- कुछ लोग अभी भी इसे Chandler wobble मानते हैं।
( आपको बता दें कि 14 महीने की अवधि के साथ पृथ्वी के घूमने की धुरी के एक अण्डाकार दोलन (Oscillation) को Chandler wobble कहा जाता है, जिसका कारण अभी तक निर्धारित नहीं किया जा सका है।)